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विदाई को तैयार कपेलो को एक गोल का दुख

७ अगस्त २०११

इंग्लैंड के फुटबॉल कोच के तौर पर फाबियो कपेलो का सफर अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंच गया है. बुधवार को नीदरलैंड्स के खिलाफ मैच के साथ उनका आखिरी सीजन शुरू होगा. अपने सफर का वह शानदार अंजाम चाहते हैं पर रास्ता आसान नहीं है.

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तस्वीर: AP

कपेलो ने यह बात साफ कर दी है कि वह 2012 के बाद हर हाल में पद छोड़ देंगे. वह चाहते हैं कि उनकी विदाई ऊंचाइयों पर हो. लेकिन अंग्रेज फुटबॉल टीम हमेशा की तरह अप्रत्याशित मुश्किलों के साथ उनके सामने खड़ी है.

आखिरी सीजन के पहले ही मैच में उन्हें अपने मुख्य मिडफील्डरों स्टीवन जेरार्ड और थियो वालकॉट के बिना उतरना होगा क्योंकि दोनों चोटिल हैं. वह न्यू कासल के जोए बार्टन को भी नहीं बुला सकते क्योंकि बार्टन पर ट्विटर के जरिए अपने क्लब की आलोचना करने के लिए जुर्माना किया गया है.

Fussball - Die Englische Nationalmannschaft beim Training in Berlin
तस्वीर: AP

अजीब समस्याओं से वास्ता

इंग्लैंड के साथ कपेलो का सफर हमेशा ऐसी समस्याओं से जूझने में बीता है जिनका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. कभी उनके खिलाड़ी मैदान के बाहर व्यवहार को लेकर टीम को प्रभावित करते रहे तो कभी स्टार खिलाड़ियों के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर उनकी राह में रोड़ा बनते रहे. जॉन टेरी को तो कुछ समय के लिए कप्तानी भी छोड़नी पड़ी थी.

मौजूदा समस्या के बारे में कपेलो कहते हैं, "बार्टन एक अच्छा खिलाड़ी है. लेकिन उसके बारे में फैसला करने का यह सही वक्त नहीं है. जब एक खिलाड़ी अपने ही क्लब से लड़ रहा हो तो उसका बाहर रहना ही अच्छा होगा. क्लब और खिलाड़ी के बीच का रिश्ता अहम होता है."

इतने सारे खिलाड़ियों का एक साथ उपलब्ध न होना कोच के लिए सबसे मुश्किल वक्त होता है क्योंकि उसके पास चुनाव के लिए विकल्प कम हो जाते हैं. इसलिए कपेलो अब स्थानीय मैचों में खेल रहे राष्ट्रीय खिलाड़ियों को देख रहे हैं ताकि सीजन के लिए कुछ लोगों को चुना जा सके.

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तस्वीर: dpa

एक गोल दुखता है

इटली के लिए खेल चुके कपेलो जानते हैं कि उनकी टीम को काबिलियत से कम हासिल हुआ है. खासतौर पर 2010 के वर्ल्ड कप में टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. लेकिन उन्होंने किसी तरह का मलाल नहीं है. अब जबकि वह जाने की तैयारी कर रहे हैं तो यह सवाल उठना लाजमी है कि कहीं उन्हें इंग्लैंड का कोच बनने का पछतावा तो नहीं है. लेकिन उनका जवाब साफ है, "पछतावा? बिल्कुल नहीं. मैं बस इंग्लैंड को लेकर एक ही चीज से निराश हूं. जर्मनी के खिलाफ जो गोल दिया नहीं गया. वह दक्षिण अफ्रीका में टीम का प्रदर्शन बदल सकता था."

दक्षिण अफ्रीका में वर्ल्ड कप के दौरान आखिरी 16 टीमों के बीच मुकाबलों के दौरान लैंपार्ड का एक गोल इंग्लैंड को नहीं दिया गया था. यह गोल उसे जर्मनी के खिलाफ बराबरी का मौका दे सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हालांकि बाद में जर्मनी ने दो गोल और करके अपनी जीत पक्की कर ली.

आखिरी उम्मीद

अब कपेलो की सारी उम्मीदें 2012 के यूरो कप पर टिकी हैं. उससे पहले उनकी टीम के प्रदर्शन की आलोचना पर कपेलो ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे. वह कहते हैं, "मैंने बहुत से खिताब जीते हैं. सीजन के आखिर में लोग मेरे बारे में जो चाहे कह सकते हैं. मुझे कोई दिक्कत नहीं."

लेकिन वह कह चुके हैं कि वह इंग्लैंड से एक यादगार विदाई चाहते हैं. और इसका मतलब होगा 2012 यूरो कप में इंग्लैंड की विजय. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि मेरा आखिरी साल अच्छा रहेगा. उम्मीद तो ऐसी ही है. मैं हर चीज को बेहतर करने की कोशिश करूंगा. मैं पढ़ता हूं. तैयारी करता हूं. पूरा ध्यान लगाता हूं. उम्मीद है कि करियर के अंत में हम एक ट्रोफी जीतेंगे."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन