वियतनाम के अस्पतालों में भ्रष्टाचार
१ नवम्बर २०११भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले संगठन ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल का हिस्सा 'टुवर्ड्स ट्रांसपरेंसी' ने वियतनाम में एक नई रिपोर्ट जारी की है जिसके अनुसार देश में भ्रष्टाचार लगातार बढ़ रहा है. रिपोर्ट तैयार करने वाली स्टेफनी चाऊ कहती हैं कि भ्रष्टाचार वियतनाम में चारों तरफ फैला हुआ है, "चिकित्सा क्षेत्र में हर स्तर पर भ्रष्टाचार है. शहरों में हर तीसरे मरीज को इसका सामना करना पड़ता है." रिपोर्ट के अनुसार पिछले चार सालों में केवल भ्रष्टाचार ही नहीं बढ़ा है, बल्कि रिश्वत के दाम भी बढ़ गए हैं.
कम वेतन और महंगा इलाज
स्टेफनी चाऊ बताती हैं कि अस्पताल में जल्द इलाज कराने या लंबी कतार से बचने के लिए रिश्वत देना वियतनाम में एक आम सी बात है. पांच छह घंटों तक डॉक्टर का इंतेजार करने की जगह घूस दे कर जल्दी इलाज कराना स्वाभाविक माना जाता है. नर्स अस्पताल में मरीज का अच्छी तरह ख्याल रखे, इसके लिए मरीज को समय समय पर सौ रुपये देने पड़ते हैं. वियतनाम में औसतन आमदनी पांच हजार रुपये है. एक सामान्य ऑपरेशन के लिए 2500 से 7500 रुपये के बीच खर्च करने पढ़ते हैं. यदि कोई पेचीदा मामला हो तो खर्चा और भी ज्यादा होता है.
साधनों की भारी कमी
जर्मनी ट्रेड एंड इन्वेस्ट की स्टेफानी श्मिट का कहना है कि इस से सबसे ज्यादा असर मध्यम वर्ग के लोगों पर पड़ता है. गरीब लोग अस्पताल जा कर इलाज कराने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं और जिनके पास पैसा है वे बैंकॉक या सिंगापुर जा कर इलाज कराते हैं. ऐसे में मध्यम वर्ग के लोगों को ही डॉक्टर और नर्स अपनी जेब भरने का जरिया समझते हैं. लेकिन इतनी कीमत चुकाने के बाद भी ना तो दवा ठीक तरह मिलती है और ना ही इलाज पूरी तरह होता है. स्टेफनी श्मिट का कहना है कि इसकी वजह साधनों की कमी है, "वहां बहुत कम बिस्तर हैं. कई बार तीन या चार मरीजों को एक ही बिस्तर दिया जाता है." स्टेफनी श्मिट बताती
हैं कि वियतनाम के अस्पतालों में मूलभूत व्यवस्था बहुत ही बुरी है और वहां काम करने वाले लोगों पर हर समय दबाव बना रहता है.
डॉक्टरों का लालच
इस से पहले 2009 में भी इस तरह की एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी. 'चिकित्सा क्षेत्र में भ्रष्टाचार' नाम की इस रिपोर्ट को थावीपोर्न वासवाकुल ने प्रकाशित किया. उस समय वह वियतनाम के हनोई में चिकित्सा विभाग के लिए सरकारी सलाहकार का काम कर रही थीं. थावीपोर्न वासवाकुल की रिपोर्ट के अनुसार देश में साधनों की कमी तो है ही, पर साथ ही लोगों की कम आमदनी भी इसकी एक बड़ी वजह है. उसके अलावा डॉक्टरों का लालच भी मरीजों पर भारी पड़ता है. कई डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में काम करने के साथ साथ अपने निजी क्लिनिक भी चलाते हैं. वे मरीजों का अस्पताल में इलाज ना कर उन्हें क्लिनिक आने की सलाह देते हैं, ताकि वे उनसे ज्यादा पैसे ऐंठ सकें.
"आदत डाल लो"
स्टेफनी चाऊ का कहना है कि इन सब दिक्कतों के चलते वियतनाम के चिकित्सा क्षेत्र में घूस देना टैक्स या फिर टिप देने जैसा हो गया है, "अब तो इस बात का डर सताने लगा है कि घूस देना चिकित्सा क्षेत्र में एक मानक बनने जा रहा है."
भर्ष्टाचार को खत्म करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. अस्पतालों में बोर्ड लगाए गए हैं कि रिश्वत लेना या देना गैरकानूनी है. सरकार की ओर से आदेश है कि रिश्वत लेने वाले व्यक्ति को जुर्माना और सजा दोनों हों. कुछ अस्पतालों में शिकायत पेटी भी लगाई गई है, जिसमें लोग बिना अपना नाम बताए डॉक्टर के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं. स्टेफनी चाऊ के अनुसार अब तक इनका कोई खास फायदा नहीं हुआ है. अधिकतर लोग शिकायत ही नहीं करते हैं, और जो लोग करते भी हैं, अस्पताल उन्हें ले कर कोई कदम नहीं उठाता है. अस्पताल में जब लोगों से इस बारे में पूछा गया तो कई लोगों ने जवाब दिया, "बस, आदत डाल लो."
रिपोर्ट: रोडियान एबिंगहाउजेन/ईशा भाटिया
संपादन: आभा मोंढे