विवाद के साथ विवादित अंपायर हार्पर की विदाई
३० जून २०११आईसीसी के जरनल मैनेजर (क्रिकेट) डेविड रिचर्ड्सन ने कहा, "अनुचित आलोचनाओं की वजह से डेरल तीसरे टेस्ट में अंपायरिंग नहीं करना चाहते हैं." टीम इंडिया की अलोचना करते हुए आईसीसी ने कहा कि हार्पर की अंपायरिंग पर शक नहीं किया जा सकता. रिचर्ड्सन ने कहा, "सच्चाई देखी जाए तो डेरल के आंकड़े दिखाते हैं कि भारतीय टीम के साथ टेस्ट मैचों में उनके फैसलों की सटीकता 96 फीसदी है. उच्च श्रेणी के अंपायरों के अंतरराष्ट्रीय औसत से यह कहीं ज्यादा है."
आईसीसी के चोटी के अंपायर पैनल में शामिल हार्पर 6 जून से शुरू होने वाले तीसरे टेस्ट के बाद टेस्ट मैचों की अंपायरिंग को अलविदा कहना चाहते थे. विवाद की वजह से हार्पर और आईसीसी दोनों आहत हैं. आईसीसी का कहना है, "हमें डेरल पर भरोसा है कि वह इस सीरीज को खत्म करना चाहते हैं लेकिन साथ ही हम उनके फैसले का सम्मान करते हैं. यह वाकई शर्मनाक है कि 1994 से खेल से जुड़ा एक व्यक्ति अपने करियर के आखिरी टेस्ट मैच की अंपायरिंग से वंचित हो गया." आईसीसी पहले ही हार्पर का करार जुलाई 2011 के आगे बढ़ाने से इनकार कर चुकी है.
59 साल के हार्पर अब तक 95 टेस्ट, 194 वनडे और 10 टी20 मैचों की अंपायरिंग कर चुके हैं. 1994 में पर्थ में दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के बीच खेले गए वनडे से अंपायरिंग करियर शुरू करने वाले हार्पर को 1998 में टेस्ट अंपायर का दर्जा मिला. लेकिन हार्पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कभी अच्छे अंपायर के रूप में पहचान नहीं बना सके. वह अक्सर विवादों में रहे, उन पर नस्लभेदी होने के आरोप लगे.
मुरलीधरन को चकर करार देना, 1999-2000 सीरीज में सचिन तेंदुलकर को गलत आउट देना और पाकिस्तानी खिलाड़ियों को बेवजह गेंद से छेड़छाड़ करने का दोषी करार देना, हार्पर पर अक्सर ऐसे आरोप लगते रहे. उन पर भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी टीमों के खिलाफ जानबूझकर कुछ गडबड़ी करने का आरोप लगते रहे.
भारत और वेस्ट इंडीज के बीच खेले गए पहले टेस्ट मैच में उनके फैसलों पर टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने खुलकर सवाल उठा दिए. भारतीय टीम ने आरोप लगाया कि मुश्किल वक्त में उनके तीन बल्लेबाजों को गलत आउट दिया गया, जबकि ऐसे ही नाजुक मौकों पर हार्पर ने कैरेबियाई टीम के दो बड़े बल्लेबाजों को जीवनदान दिया.
रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह
संपादन: एस गौड़