1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

वैश्विक मंदी को अंगूठा दिखाते ओलंपिक खेल

१० मार्च २०१२

ओलंपिक खेलों पर पैसों का जादू सिर चढ़ कर बोलने लगा है. एक ओर जहां दुनिया आर्थिक मंदी का सामना कर रही है वहीं दूसरी ओर ओलंपिक आयोजन से पहले ही अरबों डॉलर की कमाई हो चुकी है. इन खेलों पर बरस रहा है कंपनियों का पैसा.

https://p.dw.com/p/14IiG
तस्वीर: picture-alliance/empics

भारी रकम चुका कर अंतरराष्ट्रीय कंपनियां किसी भी तरह ओलंपिक से जुड़ जाने को बेताब हैं. प्रायोजकों की रिकॉर्ड संख्या और टीवी प्रसारण अधिकारों से होने वाली आय ने खेलों को बेहद अमीर बना दिया है. लेकिन पैसे के बढ़ते प्रभाव से आलोचकों को ओलंपिक का मूल उदेश्य प्रभावित होने का डर सता रहा है.

चार साल पहले 2008 के ओलंपिक खेलों के बाद से दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट में है और बैंकों की हालत भी खराब हो चली है. लीमन ब्रदर्स जैसे बैंक दिवालिया हो गए लेकिन ओलंपिक खेल प्रायोजकों और टीवी के प्रसारण अधिकारों की बदौलत रिकार्ड तोड़ धन कमा रहे हैं. इस वर्ष लंदन में होने वाले ओलंपिक और 2010 में वैंकूवर में हुए विंटर ओलंपिक से 3.9 अरब डॉलर की कमाई हुई है. चार साल पहले के मुकाबले प्रसारण अधिकारों से मिले राजस्व में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. 11 बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने ओलंपिक खेलों में अपने उत्पाद का प्रचार करने के लिए 1 अरब डॉलर की रकम दी है.

Die olympischen Ringe
तस्वीर: picture-alliance/Sven Simon

वैश्विक अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत के बावजूद भी ओलंपिक टीवी नेटवर्कों के प्रसार और बाजार के वैश्वीकरण के कारण एक बेहतर और धनी आयोजन है. लंदन ओलंपिक समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पॉल डॉयटन कहते हैं, "यदि आप इसे ब्रांड कहना चाहते हैं तो वह भावनाओं को अपील करने वाला ब्रांड है." उनका कहना है कि ओलंपिक कड़ी मेहनत के लिए ईनाम मिलने का प्रेरणादायक संदेश देता है जो दर्शकों को प्रभावित करता है और कार्पोरेट ग्राहकों को अपील करता है.

मूल्यों से भटकने का खतरा

उधर 1984 में लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेलों से शुरू हुए व्यवसायीकरण से आलोचकों को लगने लगा है कि वह अपने मूल उद्देश्यों से भटकता जा रहा है. वह शांति, एकता और शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दूर होता जा रहा है. प्रायोजक कंपनियों के साथ विवाद खड़े हो रहे हैं जो अमेरिकी कंपनी डाउ केमिकल्स के मामले में दिखता है.

Bildergalerie Olympiade London 2012
तस्वीर: London 2012

डाउ की भागीदारी ने 1984 में भोपाल गैस कांड की यादों को ताजा कर दिया है. भोपाल के यूनियन कार्बाईड प्लांट से जहरीली गैस के रिसाव से हजारों लोगों की मौत हो गई थी. हादसे के बाद से ही वह पीड़ित लोगों को मुआवजा देने में आनाकानी करती रही थी. डाउ ने 2001 में यूनियन कार्बाईड को खरीद लिया. अब कंपनी को ओलंपिक प्रायोजक बनाने से लोगों का गुस्सा भड़क उठा है.

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति आईओसी अपनी आय का 90 प्रतिशत हिस्सा आयोजकों, अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघों और अपने खिलाड़ी भेजने वाले 200 देशों में बांट देता है. लंदन इस राशि का उपयोग ओलंपिक बिलों के भुगतान के लिए करेगा, लेकिन राजधानी के पूर्वी हिस्से में शानदार स्टेडियम बनाने का खर्च उसे ही उठाना होगा. डायटन का कहना है कि ओलंपिक का वित्तीय मॉडल यह है कि ब्रिटिश सरकार उन चीजों पर खर्च कर रही है जो लंबे समय तक उसके पास रहेगी जबकि आईओसी खेल के आयोजन पर होने वाला खर्च देगा.

आमदनी का बराबर बंटवारा

आईओसी की केंद्रीय कमेटी के पास ओलंपिक की आय का बड़ा हिस्सा बच जाता है. बीटी, लॉयड्स बैकिंग ग्रुप, बीपी, बीएमडब्ल्यू, इडीएफ, ब्रिटिश एयरवेज और एडिडास जैसी कंपनियों से मिला 70 करोड़ पाउंड वह अपने पास रख सकेगी. दूसरी ओर लंदन को 60 करोड़ पाउंड की आय अकेले टिकट बिक्री से ही होगी. टी-शर्ट, टोपी और दूसरे स्मारिकाओं की बिक्री से भी होने वाली आय भी खर्च को पूरा करने में सहायक होगी.

Logo Olympische Sommerspiele in London 2012
तस्वीर: picture-alliance/dpa

आईओसी के मार्केटिंग मॉडल के सफल होने से हर देश को 1 लाख डॉलर की अतिरिक्त मदद देना संभव हुआ है ताकि वे वैश्विक मंदी के असर को कम कर सकें. आईओसी का कहना है कि उसकी दीर्घकालिक योजना उसे पिछले सालों जैसी आर्थिक उथल पिथल से निबटने में मदद देती है. आईओसी की वित्तीय समिति के प्रमुख रिचर्ड केरिओन कहते हैं, "2010-2012 के खेलों के लिए अधिकांश करार 2008 में ही दे दिए गए थे." दूसरे खेलों की तरह ओलंपिक में भी टेलिविजन अधिकारों के लिए होड़ लगती है. अमेरिकी कंपनी एनबीसी ने 2003 में ही 2 अरब डॉलर देकर 2010 और 2012 के ओलंपिक के प्रसारण अधिकार खरीद लिए थे. उसके बाद एनबीसी ने 4.38 अरब डॉलर देकर 2020 तक के प्रसारण अधिकार खरीदे हैं.

पर्याप्त नकदी भंडार

बेल्जियम के जाक रोग के एक दशक पहले ओलंपिक के अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद से इस तरह के सौदों से आईओसी के नगदी भंडार में बढ़ोतरी ही हुई है. 2013 में रोग का उत्तराधिकारी माने जाने वाले केरिओन कहते हैं, "हमारी कोशिश है कि हमारे पास ओलंपिक आंदोलन का काम बिना किसी बाधा के चलाने के लिए पर्याप्त धन हो." द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ओलंपिक खेलों का आयोजन स्थगित कर दिया गया था. 1948 में उसकी फिर से शुरुआत हुई, जबकि 1980 में मॉस्को खेलों के दौरान और 1984 में लॉस एंजिल्स के दौरान शीतयुद्ध के कारण उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ा. ओलंपिक आंदोलन पर बहिष्कारों के चलते खतरा मंडराने लगा था.

प्रसारण अधिकारों से होने वाली आय के अलावा अब आईओसी अपने 11 प्रमुख प्रायोजक कंपनियों की वजह से काफी मजबूत स्थिति में है. कोकाकोला 1928 से ही ओलंपिक खेलों को स्पांसर कर रही है जबकि प्रॉक्टर एंड गेंबल और डॉउ केमिकल्स जैसी कंपनियां 2010 में इससे जुड़ी हैं. आईओसी के मार्केटिंग प्रमुख गेर्हार्ड हाइबर्ग इस फार्मूले के हिट हो जाने से काफी खुश हैं. उन्हें उम्मीद है कि इससे 2014-16 में 1 अरब डॉलर से ज्यादा की आय होगी. उधर प्रायोजक भी इस बात से खुश हैं कि उन्हें एक्सक्लूसिव कैटेगरी के साथ अपने उत्पाद के प्रचार का बेहतर अवसर मिलेगा.

रिपोर्टः रॉयटर्स/ जे. व्यास

संपादनः महेश झा

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें