श्रीलंका में गजराज को खतरा
१० अगस्त २०११श्रीलंका में वन्य-जीव समूहों ने हाथियों के पहले राष्ट्रीय सर्वे के बहिष्कार की धमकी दी है. ऐसा इन समूहों ने एक मंत्री के बयान के बाद किया है. मंत्री ने कहा था कि सर्वे की मदद से उन जानवरों की पहचान की जा सकेगी जिनकों मंदिर में इस्तेमाल किया जा सकेंगा. युद्घ से तबाह द्वीप के राष्ट्रीय उद्यान में जानवरों की गिनती के ठीक पहले दर्जनों के करीब निजी वन्य-जीव संगठनों ने अपने स्वयंसेवकों को वापस बुला लिया है.
श्रीलंका के वन मंत्री एसएम चंद्रसेना ने संवाददाताओं को बताया कि डेटा की मदद से उपयुक्त हाथियों को पालतू बनाया जाएगा और उन्हें बौद्ध मंदिरों में समारोह के लिए भेजा जाएगा.
'मंदिर के लिए हाथी'
कोलंबो के दैनिक अखबार डेली मिरर ने चंद्रसेना के हवाले से लिखा है, "जो हाथी के बच्चे नुमाइश के लिए उपयुक्त होंगे उन्हें गिनती के दौरान चुना जाएगा. पालतू बनाकर उन हाथियों को मंदिरों को सौंप दिया जाएगा. कुछ समय पहले देश में 300 से ज्यादा पालतू हाथी थे और उनकी संख्या घटकर करीब 150 हो गई उनमें से भी कुछ ही नुमाइश के लिए ठीक हैं."
हालांकि वन्य जीव संरक्षण विभाग ने मंत्री के ऐसे बयान से इनकार किया है. हाथी के संरक्षण समूहों ने मंगलवार को हाथियों को पालतू बनाने की योजना को सोची समझी चाल करार दिया है. संरक्षणकर्ता रूकसान जयवर्द्धने ने संवाददाताओं को बताया, "जंगली हाथियों को पकड़ना जंगल में प्राकृतिक प्रजनन प्रक्रिया के लिए हानिकारक है."
जयवर्द्धने ने बताया कि जब तक सरकार यह आश्वासन नहीं देती कि हाथी पकड़े नहीं जाएंगे तब तक 12 समूहों के 100 से भी ज्यादा स्वयंसेवक सर्वे में भाग नहीं लेंगे. वन्य-जीव विभाग के महानिदेशक एचडी रत्नायके ने कहा कि वे मंत्री के निर्देश के बारे में नहीं जानते हैं. महानिदेशक के मुताबिक, "हाथियों को पकड़ने के लिए सर्वे नहीं हो रहा है बल्कि यह सर्वे उनके संरक्षण के लिए किया जा रहा है." शुक्रवार से शुरू होने वाले इस सर्वे में 4,000 कार्यकर्ता और स्वयंसेवक दो दिन तक हाथियों की गिनती का काम करेंगे.
दो दिन में कैसे गिनेंगे हाथी?
2009 में खत्म हुए जंग के बाद पहली बार देश के उत्तर और पू्र्वी क्षेत्र के जंगल में सर्वे किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट पर 210,000 अमेरिकी डॉलर का खर्च आएगा. साल 1900 में की गई गिनती के हिसाब से करीब 12,000 हाथी थे. वन विभाग का अनुमान है कि अब हाथियों की संख्या करीब 4000 हैं. इस सर्वे के जरिए हाथियों की संख्या और उनकी ताजा स्थिति सामने आएगी. पहले हुए सर्वे में उन इलाकों को छोड़ दिया जाता था जो जंग में घिरे हुए थे.
सरकार और लिट्टे की लड़ाई की वजह से उन इलाकों के हाथियों को गिना जाना नामुमकिन था. आलोचकों के मुताबिक अनुमान से दो तिहाई हाथी राष्ट्रीय उद्यान से बाहर रहते हैं. स्थानीय जानकार श्रीलाल मिथपाला कहते हैं, "ऐसे में डबल गिनती का खतरा बना रहता है. उनके मुताबिक पानी के पास आने वाले हाथियों को दो दिन में गिना जाना व्यावहारिक नहीं लगता."
तरीका गलत
मिथपाला कहते हैं कि. आप दो दिन के भीतर सर्वे नहीं कर सकते:" बल्कि वह सुझाव देते हैं कि एक समय के दौरान हाथियों के गोबर को गिना जाना चाहिए. मिथपाला कहते हैं, "भारत में हाल के सालों में हाथियों की सीधी गिनती विफल रही हैं. अब वे गोबर के पथ का सहारा लेकर अपने आंकड़ों का संकलन करते हैं." एक अनुमान के मुताबिक भारत के जंगलों में करीब 30,000 हाथी हैं. रत्नायके कहते हैं कि हाल के सालों में किसानों ने 200 से अधिक हाथियों को मार डाला क्योंकि वे उनकी फसल को खराब कर देते हैं. 50 के करीब लोग भी हाथियों के शिकार हो चुके हैं.
रिपोर्ट: एएफपी/ आमिर अंसारी
संपादन: आभा एम