सचिन सौरव अपहरण कांड में उम्र कैद
१६ जनवरी २०११दिल्ली की एक अदालत में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पिंकी ने सभी छह दोषियों को पोटा के तहत सशक्त उम्र कैद की सजा सुनाई और कहा कि इस बात का साफ संदेश जाना चाहिए कि भारत किसी भी हाल में आतंकवादियों की पनाहगाह नहीं बन सकता है.
अदालत ने दिल्ली पुलिस की याचिका को मान लिया कि क्रिकेट खिलाड़ियों के अपहरण की साजिश रचने के लिए इन सभी आतंकवादियों को ज्यादा से ज्याद सजा मिलनी चाहिए. हरकत उल जिहादे इस्लामी (हूजी) ने इसके अलावा ट्रांबे में भाभा परमाणु संस्थान पर हमले और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की हत्या की भी साजिश रची थी.
अदालत ने सजा सुनाते हुए कहा, "आतंकवाद एक अलग तरह का अपराध है. इसके बराबर के अपराध नहीं हैं. कहीं भी आतंकवाद शांति के लिए खतरा बन सकता है." हूजी के सदस्यों ने रहम की अपील करते हुए कहा कि सरकारी गवाह बन जाने की वजह से उनके तीन साथियों की सजा घटा कर आठ साल कर दी गई है और इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए. लेकिन अदालत ने उनकी अपील ठुकराते हुए पोटा के नियमों के तहत सबसे कठोर सजा का निर्धारण किया.
अदालत ने 24 दिसंबर को ही इन छह आरोपियों को दोषी करार दिया था. पाकिस्तान के तीन आतंकवादियों के नाम तारिक मोहम्मद, अरशद खान और अशफाक अहमद है. इनके अलावा तीन भारतीय मुफ्ती इसरार, गुलाम कादिर और मोहम्मद डार भी इस मामले में दोषी पाए गए हैं.
हूजी की योजना थी कि दो बड़े क्रिकेट खिलाड़ियों का अपहरण कर अपने दो साथियों नसरुल्लाह लंगरियाल और अब्दुल रहीम की रिहाई करा सकें. वे दोनों 2002 में दिल्ली की दो जेलों में बंद थे. सरकारी पक्ष ने दलील दी है कि रहीम की आसिफ रजा खान से बेहद करीबी है, जिसे भारत सरकार ने कंधार विमान अपहरण कांड के बाद रिहा किया था.
पोटा के अलावा आरोपियों को हथियार कानून और तीन पाकिस्तानी नागिरकों को भारतीय सीमा में घुसने के अपराध में भी दोषी पाया गया. इस मामले में उनके ईमेल को सबूत बनाया गया. पुलिस ने 2002 में छह पाकिस्तानी नागरिकों सहित हूजी के 10 सदस्यों को गिरफ्तार किया था. इनमें से तीन पाकिस्तानी मोहम्मद आमरान, अब्दुल मजीद और मोहम्मद अशरफ 2003 ने गुनाह कबूल लिया था और उन्हें आठ आठ साल की सजा मिली थी. इस मामले का सरगना समझा जाने वाला जलालुद्दीन पुलिस की गिरफ्त से भागने में कामयाब रहा और उसे भगोड़ा घोषित किया जा चुका है.
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः ईशा भाटिया