सपने हैं जो सचिन को दौड़ाते हैं
२९ अक्टूबर २०१०सचिन तेंदुलकर एक बैट्समैन के तौर पर वह सब भी हासिल कर चुके हैं जो कल्पनाओं तक में नहीं था. हालत यह हो गई है कि जिसे लोग जानते भी नहीं उसे सचिन हासिल कर लेते हैं. लेकिन सचिन की और ज्यादा पाने की भूख अब भी बरकरार है.
हाल ही में टेस्ट क्रिकेट में अपने 14 हजार रन पूरे करने वाले सचिन कहते हैं कि और बेहतर करने की उनकी चाह आज भी वैसी ही है जैसी पहले थी. द गार्डियन को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "मैं इस बात पर ध्यान लगा रहा हूं कि बल्लेबाजी के अगले स्तर को कैसे हासिल करूं. कैसे मैं और ज्यादा मुकाबला पैदा करूं, कैसे मैं और बेहतर बनूं."
37 साल के सचिन का यह साल काफी अच्छा रहा है. 2010 में उन्होंने कई नए मुकाम छुए. लेकिन जिस उम्र में बाकी खिलाडी़ रिटायरमेंट लेने लगते हैं उस उम्र में सचिन सोच रहे हैं कि अभी और मकसद हैं जिन्हें पूरा करना है.
उन्होंने कहा, "सपनों के बिना तो जीवन एकदम समतल हो जाएगा. सपने देखना और उन्हें पूरा करने के लिए दौड़ना बहुत जरूरी है. ये सपने ही मुझे और ज्यादा मेहनत के लिए प्रेरित करते हैं. मैं ऐसा करता रहना चाहता हूं क्योंकि पिछले दो साल में मैंने अपनी बैटिंग पर काफी मेहनत की है."
सचिन अपनी इस सफलता का श्रेय कोच गैरी कर्स्टन के साथ भी बांटते हैं. वह कहते हैं, "कर्स्टन की भूमिका अहम रही है. पिछले दो साल में मेरी बैटिंग को सुधारने के लिए हम दोनों ने काफी काम किया है. उन्होंने मुझे अपना मनचाहा करने की और अपनी पारी की रफ्तार अपने हिसाब से तय करने की आजादी दी है."
शतकों के अर्धशतक से बस एक कदम दूर सचिन 2010 को सबसे प्यारा साल बताते हैं. इस साल उन्होंने पहली बार आईसीसी का प्लेयर ऑफ द ईयर अवॉर्ड जीता. वह 2002 के बाद फिर से टॉप रैंकिंग पर लौटे. वह वनडे में 200 रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज भी बने.
लेकिन बीते समय को भी वह भूले नहीं हैं. वह कहते हैं, "2005 और 2006 में मेरे लिए थोड़ी गिरावट आई. तब मुझे काफी चोटें लगीं. उंगली और कोहनी में चोट लगी थी और फिर पीठ में भी परेशानी हो गई. लेकिन अब वह सब बीत चुका है और मैं घंटों तक प्रैक्टिस कर सकता हूं."
अगले महीने भारत को न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेलनी है और उम्मीद की जा रही है कि सचिन अपना 50वां शतक बनाएंगे. और फिर उनके टीम में रहते वनडे वर्ल्ड कप जीतने का ख्वाब भी तो है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार