साल के अंत तक ईयू भारत मुक्त व्यापार समझौता
२१ जुलाई २०१२भारत के वाणिज्य सचिव एसआर राव ने कहा है कि दोनों पक्षों के बीच अंतिम चरण की बातचीत इस साल सितंबर में होने की संभावना है. राव ने कहा, "हम बातचीत के अंतिम दौर में हैं. उम्मीद है कि साल के अंत तक हम संधि को तय करने में सफल होंगे. हमने ज्यादातर मुद्दों पर सहमति हासिल कर ली है."
वाणिज्य सचिव ने यह बात आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में भारतीय निर्यात संगठनों के फेडरेशन के एक सम्मेलन के दौरान अलग से पत्रकारों से कही. राव ने कहा, "वे चाहते हैं कि हम एक या दो मुद्दों पर यूरोपीय संघ की मुश्किलों के मद्देनजर पुनर्विचार करें. इसलिए हम अपने रुख पर फिर से विचार कर रहे हैं."
पिछले सालों में वाइन और दवाओं पर दोनों पक्षों ने मतभेद दूर कर लिया है लेकिन कृषि और ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में मतभेद बने हुए हैं. खासकर जर्मनी की मांग है कि यूरोपीय कारों पर कस्टम ड्यूटी समाप्त कर दी जाए. लेकिन भारत को डर है कि कस्टम ड्यूटी समाप्त करने से फॉल्क्सवागन और बीएमडब्ल्यू जैसी कंपनियां भारत में कार बनाने के बदले बाजार को दूसरी जगहों पर बनी कारों से भर देंगी.
इसके अलावा यूरोपीय संघ अपने बैंकों, बीमा कंपनियों और सुपर बाजारों के लिए भारत के बाजार को खोलने की मांग कर रहा है. लेकिन भारतीय कंपनियों को दिग्गज बहुराष्ट्रीय कंपनियों से कड़े मुकाबले का डर है. इसी तरह भारत को डर है कि कृषि क्षेत्र में भारी सब्सिडी वाले यूरोपीय माल भारतीय किसानों को दिवालिया बना देंगे. भारत की सत्तर फीसदी आबादी देहातों में रहती है और किसानों, खेतिहर मजदूरों और छोटे कारोबारियों के लिए भारत में कोई सामाजिक मदद की व्यवस्था नहीं है.
हालांकि मुक्त व्यापार समझौते से दोनों पक्षों को फायदा भी होगा. भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते से भारतीय कंपनियां यूरोपीय संघ में और ज्यादा सक्रिय हो पाएंगी और फैल पाएंगी. यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझीदार है. 2010 में यूरोपीय ने भारत से 40 अरब यूरो की चीजें और सेवाएं खरीदी हैं. भारत को यूरोप का बाजार चाहिए तो यूरोप की भी सवा अरब आबादी वाले युवा बाजार में दिलचस्पी है.
यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत 2007 में शुरू हुई थी. भारत इस समय ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ भी मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने की बातचीत कर रहा है.
एमजे/एनआर (पीटीआई)