सिक्किम को नहीं मिल पा रही है मदद
२० सितम्बर २०११सिक्किम के अधिकारियों ने अब तक 58 लोगों की मौत की पुष्टि की है. पश्चिम बंगाल और बिहार में नौ लोग भूकंप की चपेट में आकर मारे गए. राहत और बचावकर्मियों ने आशंका जताते हुए कहा है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है. सबसे ज्यादा नुकसान उत्तरी सिक्किम में हुआ है. रांगपो, दिकचु, सिंगतम और चुंगथान में भारी तबाही हुई है. भूकंप की वजह से बेघर हो चुके हजारों लोगों को बारिश और ठंड से जूझना पड़ रहा है.
बचाव कार्य में मुश्किलें
कुछ भूकंप प्रभावित इलाकों में राहत और बचावकर्मियों के सामने भी कठिन चुनौतियां हैं. जमीन खिसकने की वजह से रास्ते बंद हो गए हैं. भारतीय मीडिया के मुताबिक गंगटोक और चुंगथान के बीच की 100 किलोमीटर लंबी सड़क का ज्यादातर हिस्सा गायब हो चुका है. दक्षिणी सिक्किम में भी सड़कों और पुलों का काफी नुकसान पहुंचा है.
राहत कार्यों में सेना और अर्धसैनिक बलों के 6,000 जवानों का लगाया है. लेकिन सोमवार देर रात तक सिर्फ कुछ ही राहतकर्मी मंगन तक पहुंच पाए. मंगन ही भूंकप का केंद्र था, वहां बहुत नुकसान हुआ है. बचाव दस्ते अलग अलग जगहों पर फंसे हुए हैं. कई पेड़ गिरे हुए हैं, कहीं बिजली के तार जमीन पर हैं और कई जगहों पर जमीन कटी हुई है. सिक्किम के सूचना मंत्री सीबी कार्की ने कहा, "सबसे बड़ी चुनौती राहत और बचाव दलों को भूकंप प्रभावित इलाकों में पहुंचाने की है." भूकंप इतना जबरदस्त था कि बड़ी सरकारी इमारतों में भी दरारें पड़ गईं.
वायुसेना की मदद
भारतीय वायुसेना ने दो मालवाहक C-130J हरक्यूलिस विमान राहत और बचाव के काम में लगाए हैं. विमानों के जरिए राहतकर्मियों और खोजी कुत्तों को भूकंप प्रभावित इलाकों तक पहुंचाया जाएगा. दवाइंयां और खाना भी भेजा जा रहा है. एक Mi-17 हेलीकॉप्टर के जरिए मेडिकल टीम भेजी गई है. नुकसान का सही अंदाजा लगाने के लिए दो चीता हेलीकॉप्टर भी लगाए गए हैं.
नेपाल में अब तक नौ लोगों की मौत की खबर है. कहा जा रहा है कि 1934 के बाद नेपाल में रविवार को सबसे तेज भूकंप आया. नेपाल और भारत में आए 8.4 तीव्रता वाले उस भूकंप में करीब 30,000 लोग मारे गए थे. रविवार को आए भूकंप की तीव्रता 6.8 थी. भूकंप के झटके करीब 20 सेकेंड तक महसूस किए गए. यही वजह है कि जान माल का काफी नुकसान हुआ है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: आभा एम