सिर दर्द की अनदेखी करना छोड़िए
४ मई २०११सिर दर्द को लेकर अपनी तरह की इस पहली रिपोर्ट में कहा गया है, "सिर दर्द की परेशानी आपको हर जगह मिलेगी, फिर भी दुनिया भर में उस पर ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती और ठीक से इलाज नहीं कराया जाता." इस तरह के मामलों में यह पहली विश्व स्तरीय छानबीन बताती है कि दुनिया की व्यस्क आबादी में से लगभग आधे लोगों को सिर दर्द के हालिया एक या दो अनुभव जरूर हुए हैं.
औपचारिक अंडरग्रेजुएट मेडिकल ट्रेनिंग में सिर दर्द से जुड़ी समस्याओं को सिर्फ चार घंटे दिए जाते है और इस बारे में जानकारी का भी अभाव पाया जाता है, लेकिन इसके कारण समाज को होने वाले नुकसान का अंदाजा लगाना मुश्किल है. सिर दर्द रचनात्मकता और उत्पादकता पर सीधा असर डालता है.
रिपोर्ट कहती है कि सिर दर्द लोगों को किशोर अवस्था से लेकर 60 साल की उम्र तक हो सकता है. इससे लोगों के काम करने की क्षमता प्रभावित होती है. मिसाल के तौर पर ब्रिटेन में हर साल अकेले माइग्रेन की वजह से लगभग ढाई करोड़ कामकाजी या फिर स्कूल जाने वाले लोग बेध्यानी में खो जाते हैं.
रिपोर्ट कहती है, "चूंकि सिर दर्द किसी गंभीर बीमारी का कारण शायद ही कभी बनता है, इसलिए उसे हल्के में लिया जाता है. अकसर उसे कष्ट, काम के बोझ, जीवन की बिगड़ती गुणवत्ता और वित्तीय स्थिति से जोड़ दिया जाता है, लेकिन किसी भी देश में सिर दर्द के उचित इलाज पर खर्च की जाने वाली रकम दुखते सिर की वजह से होने वाले घाटे की तुलना में बेहद कम होगी.
यह अध्य्यन बताता है कि 50 प्रतिशत लोग डॉक्टर के पास जाने की बजाय खुद की अपने सिर दर्द का इलाज करते हैं. आखिर में रिपोर्ट में सिर दर्द के उचित इलाज की जरूरत पर जोर दिया गया है. इसके मुताबिक, "सबसे जरूरी यह है कि स्वास्थ्य सेवाएं देने वालों को सिर दर्द की समस्या से जुड़ी बेहतर जानकारी दी जाए और सिर दर्द से संबंधित उन चंद डिसऑर्डर्स पर ध्यान दिया जाए जिनकी वजह से सार्वजनिक तौर पर स्वास्थ्य खराब हो रहा है."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः ओ सिंह