सीरिया के खिलाफ सुरक्षा परिषद में यूरोपीय देश का प्रस्ताव
१० जून २०११समझा जाता है कि इस मसौदे पर सुरक्षा परिषद शुक्रवार को विचार करेगी. प्रस्ताव में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई तुरंत रोकने की मांग की गई है. लेकिन वीटो अधिकार वाला रूस इसके खिलाफ है.
हिंसा से डरकर सीरिया के लोगों का देश छोड़कर जाना जारी है. तुर्की के विदेश मंत्री अहमद दावुतोगलु ने गुरुवार को कहा कि अब तक 2,400 लोग सीरिया से भागकर तुर्की पहुंचे हैं. उन्होंने सीरिया की सरकार से मांग की है कि वह अधिक सक्रियता से सुधारों को लागू करे. तुर्क प्रधानमंत्री तय्यप एरदोआन ने स्थिति पर चिंता व्यक्त की है लेकिन कहा है कि उनका देश सीरिया के सभी नागरिकों के लिए खुला है.
सीरिया प्रस्ताव के मसौदे में देश को मानवीय सहायता के लिए खोलने की भी मांग की गई है. जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने कहा है, हम अपने यूरोपीय सहयोगियों के साथ संयुक्त राष्ट्र का एक प्रस्ताव चाहते हैं जो साफ करे कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा की कार्रवाई स्वीकार्य नहीं हैं. वेस्टरवेले ने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि विश्व समुदाय मिलजुल कर कार्रवाई करे और निर्णायकता का परिचय दे.
बुधवार को पेश प्रस्ताव में सीरिया के खिलाफ सैनिक कार्रवाई का जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन इसके बावजूद रूस ने साफ कर दिया है कि सीरिया के मामले में सुरक्षा परिषद में अपील उसे पसंद नहीं है. मॉस्को में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "हमारे विचार में सीरिया की स्थिति अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा नहीं है." इसके विपरीत फ्रांस के संयुक्त राष्ट्र दूत जेराद अरौद ने कहा है कि सीरिया की स्थिति सुरक्षा परिषद को रुख तय करने को बाध्य करती है.
सीरिया में तीन महीने से चल रहे सरकार विरोधी आंदोलन में 1,000 से अधिक लोगों के मारे जाने का अनुमान है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ओ सिंह