सीरिया पर बढ़ा अंतरराष्ट्रीय दबाव
१६ अगस्त २०१२ओआईसी ने सीरियाई नेतृत्व को अलग थलग करने की कोशिश की है लेकिन वहां न तो सैनिक हस्तक्षेप का समर्थन नहीं किया है और न ही विद्रोहियों को हथियार देने की सउदी अरब की मांग का. जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने भी सैनिक हस्तक्षेप का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि यह साफ है कि सैनिक हस्तक्षेप पूरे इलाके में फैल सकता है.
ओआईसी के विशेष सम्मेलन के भागीदारों ने अपने बयान में कहा है कि सीरिया में हिंसा तुरंत रुकनी चाहिए. ओआईसी के महासचिव तुर्की के एकमेलेद्दीन इहसानोग्लु ने कहा कि अपनी जनता का नरसंहार करने वाले और नागरिक आबादी के खिलाफ विमान, टैंक और तोपखाने का इस्तेमाल करने वाले मुल्क को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अमेरिका ने सीरिया को ओआईसी से निकाले जाने का स्वागत किया है और कहा है कि यह सीरियाई नेतृत्व के अलग थलग होने का सबूत है.
ईरान ने अपने सहयोगी देश के खिलाफ ओआईसी के फैसले की आलोचना की है और उसे अनुचित बताया है. ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने फैसले को राजनीति प्रेरित बताया तो विदेश मंत्री अली अकबर सलेही ने इसे संगठन के चार्टर के खिलाफ बताया. ओआईसी के 57 सदस्यों में सिर्फ ईरान ने सीरिया को निकालने के प्रस्ताव का विरोध किया.
इस बीच पिछले साल मार्च से चल रहे सीरिया विवाद का असर पड़ोसी लेबनान पर भी पड़ रहा है. बढ़ते तनाव के कारण खाड़ी के पांच देशों ने अपने नागरिकों से लेबनान छोड़ देने को कहा है. शिया प्रदर्शनकारियों ने बेरूत में टायरों में आग लगा दी और हवाई अड्डे जाने वाली सड़क की नाकेबंदी कर दी. हथियारबंद शिया गिरोहों ने सउदी अरब, तुर्की और सीरिया के कुछ लोगों को बंधक बना लिया और दुकानों में तोड़ फोड़ की. बेरूत में हुई हिंसा के बाद एयर फ्रांस ने अपना एक विमान साइप्रस की ओर मोड़ दिया.
जॉर्डन में सतारी शरणार्थी शिविर के दौरे पर गए फ्रांसीसी विदेश मंत्री लौरां फाबिउस ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद को अपनी जनता के लिए जल्लाद बताया. उन्होंने कहा कि असद को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए ताकि सीरिया में ऐसी अंतरिम सरकार बन सके, जो पूरी जनता का प्रतिनिधित्व करे और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करे. चीन ने विवाद में शामिल दलों से संघर्षविराम का पालन करने और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता स्वीकार करने की अपील की है.
सीरिया में जारी हिंसा के कारण संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 25 लाख लोग बाहरी सहायता पर निर्भर हैं. मानवीय मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र कमिश्नर वलेरी आमोस ने सीरिया सरकार और विद्रोहियों से नागरिकों का ख्याल रखने की मांग की है. दमिश्क में प्रधानमंत्री वाल अल हल्की से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि खाने की चीजों, पानी और दवाओं की जरूरत बढ़ रही है. असुरक्षित स्थिति के कारण राहत संगठनों को मुश्किल हो रही है.
विद्रोहियों के नियंत्रण वाले शहर असस पर हवाई हमले में ह्मूमन राइट्स वाच के अनुसार 40 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और सौ से ज्यादा घायल हो गए हैं. स्थानीय अस्पताल ने एक समय अपने दरवाजे बंद कर दिए और लोगों को पड़ोस के तुर्की के शहर में जाने की सलाह दी. असस में मई से विद्रोहियों ने लेबनान के 11 शिया लोगों को बंधक बना रखा है. संयुक्त राष्ट्र ने आरोप लगाया है कि सीरिया में चल रहे संघर्ष में दोनों पक्ष युद्ध अपराध कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने सरकारी सैनिकों और सरकार समर्थक गिरोह को मई में हूला में हुए हत्याकांड के लिए जिम्मेदार ठहराया है. इसमें 100 लोग मारे गए थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि विद्रोही भी कम लेकिन युद्ध अपराध कर रहे हैं.
एमजे/ओएसजे (एएफपी, रॉयटर्स)