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हक्कानी ने उलझाया अमेरिका पाक को

२६ सितम्बर २०११

पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क पर कार्रवाई से इनकार करते हुए कहा है कि खुद अमेरिका ने इसे खड़ा किया है. दोनों देशों के रिश्ते बेहद खराब हो चुके हैं और पाकिस्तान ने अपनी विदेश मंत्री को यूएन भाषण के बाद फौरन लौट आने को कहा.

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वजीरिस्तान का दृश्यतस्वीर: Abdul Sabooh

पाकिस्तानी मीडिया ने सोमवार को बताया कि सेना प्रमुख अशफाक परवेज कियानी के नेतृत्व में रविवार को उच्चस्तरीय बैठकें हुईं, जिनमें सेना के कमांडरों ने तय किया कि वे अमेरिका के उस आदेश को नहीं मानेंगे, जिसमें कहा गया है कि वजीरिस्तान में चरमपंथी गुट हक्कानी नेटवर्क पर सैनिक कार्रवाई की जाए. बैठक में यह भी चर्चा की गई कि अगर अमेरिका अपने दम पर पाकिस्तान के उस हिस्से में सैनिक कार्रवाई करता है, तो उसका कैसे जवाब दिया जाएगा.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने इस रिपोर्ट को छापते हुए लिखा है कि हो सकता है कि इस फैसले के बाद पाकिस्तान और अमेरिका के खराब होते रिश्ते और भी बिगड़ जाएं. अखबार ने एक सैनिक अधिकारी के हवाले से कहा, "हमने अमेरिका को यह बात बता भी दी है कि पाकिस्तान यह कार्रवाई नहीं कर सकता है."

कैसे संभलें रिश्ते

हालांकि डॉन अखबार का कहना है कि इस बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि दोनों देशों के रिश्तों को कैसे बेहतर किया जा सकता है. अखबार का कहना है कि इस तरह की बैठक पहली बार रविवार को हुई है. छुट्टी के दिन होने वाली बैठक से पता चलता है कि यह मामला कितना अहम है.

Taliban Führer Jalaluddin Haqqani
जलालुद्दीन हक्कानीतस्वीर: picture-alliance/dpa

डॉन ने एक सैन्य सूत्र के हवाले से अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने से नुकसान ही होगा. यह किसी भी पक्ष के लिए अच्छा नहीं हो सकता है. हालांकि सेना की तरफ से छह घंटे तक चली बैठक के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है. बैठक से पहले सिर्फ इतना कहा गया कि जनरल कियानी ने सुरक्षा स्थिति पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई है.

बढ़ता तनाव

अमेरिका और पाकिस्तान के बीच मई से ही तनाव बढ़ गया है, जब अमेरिकी फौजों ने राजधानी इस्लामाबाद के पास एबटाबाद शहर में अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मार गिराया. इसके बाद पिछले हफ्ते अमेरिकी सेना प्रमुख माइक मुलेन ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई हक्कानी नेटवर्क की मदद कर रही है, जिसके सदस्य अफगानिस्तान में अमेरिकी फौजों को निशाना बना रहे हैं. कियानी ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि यह तथ्यों पर आधारित नहीं है.

इसके साथ ही पाकिस्तान की सेना ने इस बात को भी साफ कर दिया है कि उसके संपर्क हक्कानी गुट से हैं. सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अतहर अब्बास ने कहा, "कोई भी खुफिया एजेंसी चाहेगी कि वह इस तरह के संगठन के संपर्क में रहे ताकि इसका कोई सकारात्मक नतीजा निकल सके." उन्होंने इशारों में कहा कि अगर कोई कहता है कि सिर्फ पाकिस्तान ही ऐसे संगठनों के संपर्क में है, तो "मैं कहना चाहता हूं कि दूसरे देश भी ऐसा करते हैं."

अमेरिका ने बनाया हक्कानी

उधर, पाकिस्तान के गृह मंत्री ने दावा किया कि अमेरिका ने खुद हक्कानी नेटवर्क को तैयार किया है. रहमान मलिक ने कहा कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने सोवियत संघ और अफगानिस्तान के संघर्ष के दौरान हक्कानी गुट को बनाया था. मलिक ने कहा, "हक्कानी नेटवर्क को सीआईए ने ही ट्रेनिंग दी थी. यह ग्रुप पाकिस्तान में नहीं बना था और अमेरिका को अब 20 साल पुरानी घटनाओं के बारे में नहीं कहना चाहिए."

Pakistatnische Außenministerin Hina Rabbani Khar
पाक विदेश मंत्री हिना रब्बानी खरतस्वीर: AP

मलिक ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने 1980 के दशक में अफगानिस्तान पर सोवियत संघ की चढ़ाई के दौरान अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की मदद की थी. उन्होंने दावा किया कि हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान में नहीं है और कोई इसका सबूत नहीं दे सकता है.

खर लौटेंगी घर

उधर, अमेरिका दौरे पर गईं पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर से संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण के फौरन बाद देश लौटने को कहा गया है. प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने कहा है कि खर न्यू यॉर्क में पाकिस्तान की बात रखने के बाद देश लौट जाएंगी.

आम तौर पर सरकार का प्रमुख संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लेने जाता है लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने इस बार अपना दौरा रद्द कर दिया. आधिकारिक तौर पर इसकी वजह पाकिस्तान की बाढ़ को बताया गया है लेकिन मीडिया में रिपोर्टें हैं कि गिलानी अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मिलना चाहते थे लेकिन ओबामा ने इसके लिए वक्त नहीं दिया और उसके बाद ही गिलानी ने अमेरिका नहीं जाने का फैसला किया.

रविवार को गिलानी ने खर से कहा कि वह देश में होने वाली एक अहम राजनीतिक बैठक में हिस्सा लेने के लिए अपनी यात्रा कम करके लौट जाएं. इसके बाद मीडिया में ऐसी खबरें भी आईं कि खर यूएन को संबोधित किए बगैर ही लौट जाएंगी. पर बाद में साफ किया गया कि 27 सितंबर को यूएन महासभा को संबोधित करने के बाद वह लौटेंगी.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः ए कुमार

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