हैरान कर देंगे नतीजेः सारकोजी
५ मई २०१२शुक्रवार शाम फ्रांस में चुनाव प्रचार खत्म हुआ. ओपिनियन पोल के अनुसार मौजूदा राष्ट्रपति निकोला सारकोजी को समाजवादी नेता फ्रांसोआ ओलांद के हाथों हार का सामना करना पड़ेगा. लेकिन सारकोजी आखिरी पल तक भी अपनी हार स्वीकार करते नहीं दिख रहे. शुक्रवार को उन्होंने कहा, "मैं आपको इस बात का भरोसा दिलाना चाहता हूं कि हर वोट कीमती है. आप सोच भी नहीं सकते कि रविवार को मुकाबला कितना करीबी होगा." ओपिनियन पोल में ओलांद की तय जीत को नकारते हुए सारकोजी ने यूरोप 1 रेडियो पर कहा, "रविवार को आपको हैरान कर देने वाले नतीजे मिलेंगे."
वहीं ओलांद ने मतदाताओं से अपील की है कि उन्हें बहुमत से जिताएं. आरटीएल रेडियो पर बात करते हुए उन्होंने कहा, "फ्रांस के लोगों को अगर किसी को चुनना है तो उन्हें ऐसा स्पष्ट रूप से करना चाहिए, उन्हें अपना समर्थन इस तरह से दिखाना चाहिए कि जीतने वाले के पास कदम उठाने की क्षमता हो." ओलांद ने कहा कि चुने जाने के बाद वह फौरन काम में लग जाएंगे, "मैं कोई अवकाश नहीं लूंगा, देश की दिक्कतें केवल निकोला सारकोजी के चले जाने से खत्म नहीं हो जाएंगी. वह ऋण समस्या, बेरोजगारी और सामाजिक समस्याओं को अपने साथ नहीं ले जाएंगे."
इस से पहले टीवी पर ओलांद और सारकोजी के बीच हुई बहस में सारकोजी ने लोगों का ध्यान यूरोप में चल रहे आर्थिक संकट पर डालते हुए कहा, "हमारी सीमाओं के उस पार जो हो रहा है वह हमारे साथ भी हो सकता है. मैं फ्रांस को इस दुर्गति से बचाना चाहता था. मैं चाहता हूं कि फ्रांस के लोग अपना और अपने बच्चों का ख्याल रख सकें. मैं अपने देश से बहुत प्यार करता हूं और मैं नहीं चाहता कि फ्रांस को भी उसी सब से गुजरना पड़े जिस से ग्रीस या स्पेन गुजर रहे हैं."
फ्रांस के चुनाव नियमों के अनुसार चुनाव से एक दिन पहले चुनाव प्रचार या भाषण देने पर मनाही है. शुक्रवार रात दस बजे से यह सीमा शुरू हुई. रविवार सुबह आठ बजे से आखिरी दौर का चुनाव शुरू होगा जो शाम छह बजे तक चलेगा.
फ्रांस में 1995 के बाद से कोई समाजवादी नेता राष्ट्रपति के तौर पर नहीं चुना गया है. ओलांद की जीत एक ऐतिहासिक जीत हो सकती है. लेकिन जानकारों का मानना है कि इस जीत को ओलांद की जीत से ज्यादा सारकोजी की हार के रूप में देखा जाना चाहिए. सारकोजी अपने स्टाइल और निजी जीवन को ज्यादा समय देने के लिए अलोकप्रिय रहे हैं. इसी पर ओलांद ने बहस में आश्वासन दिया कि वह "एक साधारण राष्ट्रपति" बनना चाहते हैं. जानकारों का मानना है कि ओलांद की साधारण राष्ट्रपति वाली छवि लोगों को भा रही है और इसीलिए वह उन्हें मत देना पसंद करेंगे. वहीं कुछ दक्षिणपंथी अखबारों ने ओलांद के इसी मिलनसार स्वभाव की आलोचना भी की है. ले फिगारो अखबार ने लिखा है, "राष्ट्रपति पद के चुनाव कोई ब्यूटी कॉन्टेस्ट नहीं हैं. आप राष्ट्रपति चुनते हैं उसकी काबिलियत के कारण, ना कि उसके स्वभाव के कारण."
वहीं जर्मनी ने कहा है कि चुनाव के नतीजे जो भी हों उस से दोनों देशों के संबंधों और यूरो संकट पर चल रहे काम पर कोई असर नहीं पडेगा.
आईबी/एनआर (एएफपी)