अद्भुत द्रविड़ को 13,000 रनों का सलाम
२४ नवम्बर २०११एक छोर से गिरते विकेट, दूसरे छोर पर पसीने से तर बदन और आंखों में उम्मीद लिए खड़े राहुल द्रविड़. बीते डेढ़ दशक में क्रिकेट प्रेमी टेस्ट मैच देखते हुए कई बार इस तस्वीर से गुजरे हैं. टेस्ट मैच में भारतीय क्रिकेट प्रेमियों की उम्मीदें सबसे ज्यादा द्रविड़ पर टिकी रहीं. पिच में चाहे उछाल हो, टर्न हो या स्विंग हो, द्रविड़ के डिफेंस में गजब की एकाग्रता, शॉट्स में लाजवाब खूबसूरती और व्यक्तित्व में झील जैसी शांति हर बार दिखाई पड़ी.
15 साल से टेस्ट क्रिकेट खेल रहे द्रविड़ ने गुरुवार को वानखेड़े स्टेडियम में वेस्ट इंडीज के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में 13,000 रन पूरे कर लिए. जैसे ही वह 52 के स्कोर पर पहुंचे स्टेडियम तालियों से गड़गड़ा उठा. वह सचिन तेंदुलकर के बाद टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले वह दूसरे बल्लेबाज बन गए.
रनों की संख्या के मामले में वह भले ही दूसरे नंबर के बल्लेबाज हैं लेकिन बीते कई दशकों में टेस्ट क्रिकेट ने द्रविड़ से बेहतर बल्लेबाज नहीं देखा है. क्रिकेट की मशहूर बेवसाइट क्रिक इंफो कहती हैं, "राहुल द्रविड़ शायद आखिरी बचे क्लासिकल टेस्ट बल्लेबाजों में से एक है."
टेस्ट मैच में विपक्षी टीमें हमेशा राहुल द्रविड़ के विकेट पर नजरें गड़ाए बैठी रहीं. खेल गर्मी में हो या कड़ाके की ठंड में, दीवार क्रीज पर डटी रही. वीवीएस लक्ष्मण के साथ मिलकर द्रविड़ ने भारत को कई बार हार से बचाया है. फर्क सिर्फ इतना है कि लोग जीत के नायकों को याद करते हैं और हार टालने वालों को अक्सर भूल जाते हैं.
2003 में एडिलेड में भारत ने पहली बार टेस्ट मैच जीता. वह भी मेजबान ऑस्ट्रेलिया और उसके ग्लेन मैक्ग्रा, शेन वॉर्न, गिलेस्पी और ब्रेट ली जैसे खूंखार गेंदबाजों का सामना करते हुए. जीत के कारण ढूंढने पर पता चलता है कि पूरा मैच भारत के एक बल्लेबाज ने पलटा. राहुल द्रविड़ ने उस मैच की दोनों पारियों में 835 मिनट यानी करीब 14 घंटे तक बल्लेबाजी की.
कुछ ही महीनों बाद जब भारतीय टीम ने पहली बार पाकिस्तान में टेस्ट सीरीज जीती तो उसमें भी राहुल द्रविड़ की अहम भूमिका रही. एक मैच में उन्होंने 12 घंटे से ज्यादा देर तक बल्लेबाजी की और 270 रन बनाए. भारतीय टीम चाहे वेस्ट इंडीज में हो या दक्षिण अफ्रीका में हर जगह बल्ला द्रविड़ का ही बोला. बीते 15 साल में टेस्ट क्रिकेट ने उनके जैसा संपूर्ण बल्लेबाज वाकई में नहीं देखा.
37 साल के द्रविड़ ने सितंबर 2011 में वनडे क्रिकेट से संन्यास ले लिया. उन्होंने कहा कि वह सारा ध्यान टेस्ट क्रिकेट पर केंद्रित करना चाहते हैं. इंग्लैंड दौरे में उनका बल्ला ज्यादा नहीं चला तो भारत की क्या हालत हुई यह बात किसी से छुपी नहीं है.
दुनिया भर के क्रिकेटर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को अपना प्रेरणास्त्रोत कहते हैं. वहीं तेंदुलकर राहुल द्रविड़ के खेल और व्यक्तित्व के कायल हैं. सचिन के मुताबिक, द्रविड़ मेरे आदर्श और "भारतीय टीम के गुमनाम हीरो हैं."
पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के मुताबिक भारतीय क्रिकेट आज जिस मुकाम पर पहुंचा है उसमें राहुल द्रविड़ का बहुत बड़ा योगदान है.
इसमें कोई शक नहीं कि राहुल द्रविड़ की बैटिंग अपने आप में बल्लेबाजी का विश्वविद्यालय है. रनों का अंबार लगाने के अलावा द्रविड़ उन खिलाड़ियों में भी शुमार हैं जिन्होंने चोटों को भी अपने आप से दूर रखा, खुद को फिट बनाए रखा. एक कहानी है कि जिस पेड़ पर जितने ज्यादा फल लगे होते हैं वह उतना झुक जाता है, कई बार लगता है कि यह कहानी भारतीय क्रिकेट की दीवार या मिस्टर कूल राहुल द्रविड़ की भी है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: महेश झा