अफरीदी से मार खा कर भी खुश है रहमान
२४ मार्च २०१२पाकिस्तान की टीवी चैनलों पर दिखाए जा रहे फुटेज में गुलाबी टीशर्ट पहने अफरीदी एक फैन को जमीन पर गिरा कर थप्पड़ मारते दिख रहे हैं. एशिया कप में बांग्लादेश को हरा कर लौटी पाकिस्तान क्रिकेट टीम का स्वागत करने उमड़े दर्शकों ने बवाल मचा दिया. क्रिकेट खिलाड़ियों का ऑटोग्राफ मांगने की होड़ में वहां धक्का मुक्की हो गई. इसी धक्कामुक्की में अफरीदी की 3 साल की बेटी को चोट लग गई. बेटी को चोट लगता देख अफ्रीदी बिफर गए और वहां मौजूद लोगों से भिड़ गए. हालांकि जल्दी ही उनके भाई उन्हें वहां से खींच कर ले गए.
घटना से ठीक पहले अफरीदी ने बड़ी खुशी खुशी पत्रकारों से बात की और इस दौरान एशिया कप के फाइनल में बांग्लादेश के शानदार खेल की तारीफ की. टेलीविजन पर दिखाई जा रही तस्वीरों से पता चलता है कि निकल करलने के बाद अफरीदी कार की ओर बढ़ रहे थे तभी वो वापस मुड़े और उस युवा से भिड़ गए. इस दौरान उन्होंने एक दूसरे शख्स को ऊंगली दिखा कर धमकाते हुए भी देखा जा सकता है.
बाद में पत्रकारों से बातचीत में अफरीदी ने कहा, "मैं जानता हूं कि मैने गलत किया, मुझे अपने गुस्से पर काबू करना चाहिए थे. लेकिन जब मैंने अपनी बेटी अजवा को जमीन पर गिरते देखा तो मैं अपना आपा खो बैठा." वैसे अफरीदी की इस हरकत में थप्पड़ खाने वाले रहमान गुल उनसे बिल्कुल भी खफा नहीं हैं. मार खाने वाले अफ्रीदी के फैन गुल रहमान ने कहा, "अफरीदी की प्रतिक्रिया स्वाभाविक थी क्योंकि दर्जनों लोगों ने उन्हें घेर लिया और उनकी बेटी को चोट लगी. मैं अब भी उन्हें प्यार करता हूं बिल्कुल अपने भाई की तरह." रहमान ने मीडिया को बताया कि वो इससे पहले भी कई बार अफरीदी के हाथों मार खा चुके हैं.
अफरीदी ने इस घटना के लिए प्रशासन को भी दोषी ठहराया है. उनका कहना है, "वहां खिलाड़ियों के लिए कोई सुरक्षा नहीं थी और ऐसे में जाहिर है कि फैन ऑटोग्राफ मांगने आएंगे ही, पर इस बार वो बिल्कुल नियंत्रण से बाहर हो गए थे."
अफरीदी अपनी टीम के साथी यूनुस खान, सईद अजमल, असद शफीक और मोहम्मद हफीज के साथ शुक्रवार की रात वापस लौटे. बांग्लादेश की टीम को फाइनल में दो रन से हरा कर पाकिस्तान ने दूसरी बार एशिया कप पर कब्जा जमाया है. अफरीदी को फाइनल मुकाबले का मैन ऑफ द मैच भी घोषित किया गया. उन्होंने बड़ी तेजी से 32 रन बनाए और बांग्लादेश के एक खिलाड़ी को आउट भी किया.
रिपोर्टः रॉयटर्स,एपी/ एन रंजन
संपादनः एम गोपालकृष्णन