अमेरिका ने पाकिस्तान से माफी मांगी
४ जुलाई २०१२पाक प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने मंगलवार को वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों और सेना प्रमुखों से बात की. प्रधानमंत्री अशरफ ने इस सिलसिले में डीसीसी (मंत्रिमंडल की सुरक्षा समिति) की बैठक बुलवाई थी. समाचार एजेंसी एएफपी ने एक पाकिस्तानी अधिकारी के हवाले से यह खबर दी है. 2011 मई में एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन पर अमेरिकी सेना के हमले के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध खराब होते रहे हैं.
सोमवार को अमेरिकी उप विदेश मंत्री टॉम नाइड्स और अफगानिस्तान में अमेरिकी कमांडर जनरल जॉन एलन ने पाकिस्तानी अधिकारियों से मुलाकात की. इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने भी प्रधानमंत्री अशरफ से बात की है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता विक्टोरिया न्यूलैंड ने कहा कि पाकिस्तान के साथ अमेरिका कई महीनों से बातचीत कर रहा है और नाटो के लिए पाकिस्तान के जरिए आपूर्ति की बात भी इसमें शामिल है. पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया का कहना है कि क्लिंटन ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर से भी टेलिफोन पर बात की और नवंबर में सैनिकों के मरने के मामले के लिए अमेरिका की तरफ से माफी मांगी.
नाटो के सैनिकों के लिए आपूर्ति का सबसे आसान और सस्ता रास्ता पाकिस्तान से है. कराची के बंदरगाह में अमेरिका से आया सामान नाटो के ट्रकों के जरिए अफगानिस्तान ले जाया जाता रहा था. 2011 नवंबर के बाद पाकिस्तान ने इस रास्ते पर रोक लगा दी और अब कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के जरिए सामान नाटो तक पहुंचाया जा रहा है. नाटो और खासकर अमेरिका को इस लंबे रास्ते में बहुत पैसे और वक्त गंवाना पड़ा है.
लेकिन पाकिस्तान में अमेरिका के रवैये को लेकर गुस्सा अब भी मौजूद है. नवंबर में अफगान सरहद पर अमेरिका के सैनिकों ने इस गलतफहमी में हमला किया था कि वहां तालिबान के लड़ाके छिपे थे. पाकिस्तान ने इसके फौरन बाद अमेरिका के लिए रास्ते बंद कर दिए थे और मांग की थी की अमेरिका औपचारिक रूप से इसकी माफी मांगे.
इससे पहले पाकिस्तान में सीआईए जासूस रेमंड डेविस पर दो पाकिस्तानी नागरिकों के कत्ल का आरोप, अमेरिकी ड्रोन हमलों से लगातार मर रहे आम नागरिक और खास कर कि ओसामा बिन लादेन पर पाकिस्तान में हमला से पाकिस्तान में अमेरिका के खिलाफ लोगों का आक्रोश चरम पर है.
एमजी/आईबी (रॉयटर्स, एएफपी)