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अमेरिका ने पाक के 70 करोड़ डॉलर रोके

१३ दिसम्बर २०११

अमेरिकी सीनेट द्वारा पाकिस्तान के लिए 70 करोड़ डॉलर की मदद रोके जाने के बाद अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों के और बिगड़ने की आशंका बढ़ गई है. पाकिस्तान सबसे ज्यादा अमेरिका सहायता पाने वाले देशों में है.

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तस्वीर: dapd

सीनेट की वार्ता समिति में इस मदद को तब तक रोकने पर सहमति बनी है जब तक कि पाकिस्तान इलाके में हाथ के बने विस्फोटक यंत्रों के विस्तार को रोकने में मदद देने का आश्वासन नहीं देता. पाकिस्तान आतंकवाद विरोधी संघर्ष में अमेरिका का हिस्सेदार है और अमेरिकी विदेशी सहायता पाने वाले प्रमुख देशों में शामिल है. 70 करोड़ डॉलर की राशि उसे अमेरिका द्वारा हर साल दी जाने वाली नागरिक और सैनिक सहायता का एक छोटा हिस्सा है.

लेकिन इस कटौती के बाद और कटौतियों की संभावना बढ़ सकती है क्योंकि अमेरिका में पाकिस्तान को उग्रपंथी दलों पर काबू पाने में विफलता और यहां तक कि मदद देने के कारण सजा देने की मांग बढ़ती जा रही है. पाकिस्तान के सैन्य शहर एबटाबाद में एक गोपनीय अमेरिकी कार्रवाई में अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मारे जाने के बाद पाकिस्तान के साथ अमेरिका के रिश्ते भी बिगड़ रहे हैं.

अफगानिस्तान में उग्रपंथी अमेरिकी और सहबंध के सैनिकों के खिलाफ घरेलू बमों या हाथ से बनाए गए विस्फोटक यंत्रों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इनमें से बहुत से बम अमोनियम नाइट्रेट से बनाए जाते हैं जिनका इस्तेमाल खाद के रूप में होता है और जिसकी आसानी से पाकिस्तान से तस्करी की जाती है. पाकिस्तान को 70 करोड़ की मदद रोकने का फैसले पर सहमति एक रक्षा बिल के हिस्से के रूप में हुई है जिसे इस सप्ताह संसद में पास किया जाएगा. प्रतिनिधि सभा के सदस्य होवार्ड मैककेअन ने पत्रकारों के इसके बारे में बताया, अमेरिका "इस बात का आश्वासन चाहता है कि पाकिस्तान कामचलाऊ विस्फोटक उपकरणों को अपने देश में रोक रहा है जिसका इस्तेमाल हमारी सहबंध सेनाओं के खिलाफ किया जाता है."

Pakistan Premierminister Yusuf Raza Gilani
तस्वीर: AP

अमेरिका ने 2001 के बाद से पाकिस्तान को सुरक्षा और आर्थिक सहायता के रूप में 20 अरब डॉलर उपलब्ध करा चुका है. इनमें से अधिकांश हिस्सा उग्रपंथियों के खिलाफ संघर्ष में साथ देने के खर्च के भुगतान के एवज में दिया गया है. पिछले महीनों में अमेरिकी सांसदों ने युद्ध में पाकिस्तान के प्रयासों पर असंतोष जताया. सांसदों ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता को शर्तों के साथ जोड़ने के कई प्रस्ताव दिए हैं जिनमें हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ अधिक सहयोग की मांग भी शामिल है. अमेरिका समझता है कि हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान से काम करता है और अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों पर हमले कर रहा है.

लेकिन पाकिस्तान ने राजनीतिक नेताओं ने मदद में कटौती के खिलाफ चेतावनी दी है और कहा है कि इससे जनमत में अमेरिका विरोधी भावना और बढ़ जाएगी. पाकिस्तान का कहना है कि वह अल कायदा और तालिबान से लड़ने के लिए जितना कर सकता है उतना कर रहा है और 2001 से इस लड़ाई में उसने हजारों सैनिक खोए हैं. उसका आरोप है कि नाटो ने जानबूझकर पिछले महीने एक हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला. उसके बाद इस्लामाबाद ने नाटो की सप्लाई को रोक दी, और अमेरिका तथा नाटो के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार कर रहा है.

रिपोर्ट: रॉयटर्स/महेश झा

संपादन: ओ सिंह

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