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असद ने यूएन से कहा, हटा ली है सेना

१८ अगस्त २०११

सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून से बातचीत के दौरान कहा कि शहरों से सेना हटा ली गई है. सोमवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन की सीरिया के मुद्दे पर आपात बैठक है.

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असद पर अतंरराष्ट्रीय दबाव हैतस्वीर: picture alliance/dpa

बशर अल असद ने बान की मून से कहा कि विरोध प्रदर्शन कर रहे नागरिकों पर सैनिक और पुलिसिया कार्रवाई रोक दी गई है. संयुक्त राष्ट्र के बयान में कहा गया है कि असद और बान की टेलीफोन पर बातचीत हुई. "बान की मून ने सीरिया के हालात पर चिंता जाहिर की तो असद ने पुलिस और सैन्य कार्रवाई खत्म करने की सूचना दी." पांच महीने पहले शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों में कुल 2,000 लोग मारे गए हैं.

पांच महीने से बशर अल असद का विरोधियों के खिलाफ दमन चक्र जारी है जिसे वह खुद हथियारबंद गुटों की तलाश और धर पकड़ बताते हैं. उधर बताया जाता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी फोन कर असद को सत्ता छोड़ने के लिए कहने वाले हैं.

कौन हैं असद के साथ

बशर अल असद को सीरिया के लोग कितना पसंद करते हैं, इस बारे में कोई स्वतंत्र जानकारी नहीं है. सरकार का समर्थन करने वाले यूनिवर्सिटी प्रोफेसर अबू अब्दल्ला लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन को छिटपुट घटना साबित करने कोशिश करते हैं. पांच महीनों से जारी प्रदर्शनों के बावजूद सरकार ताकतवर बनी हुई है. बाहरी देशों का दबाव उसने सह लिया क्योंकि विरोधियों को कोई सफलता नहीं मिली. सीरियाई जनता ने विध्वंस का विरोध किया है और वह लीबिया और यमन का अनुकरण नहीं करना चाहती.

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लेकिन विरोध प्रदर्शनों के बेशुमार वीडियो कुछ और ही तस्वीर दिखाते हैं. कौन हैं जो असद के साथ हैं. जर्मन अखबार स्यूडडॉयचे त्साइटुंग के मध्यपूर्व संवाददाता रुडोल्फ किमेली कहते हैं, "सेना और सुरक्षाकर्मी पूरी तरह से सरकार या कहें राष्ट्रपति के साथ हैं."

खासकर कट्टरपंथी विचारधारा वाले उनके भाई माहेर किसी भी कीमत पर सरकार का साथ देना चाहते हैं. वह रॉयल आर्मी के चौथे डिविजन के प्रमुख हैं. असद के पिता और पूर्व राष्ट्रपति हैज अल असद ने भी सरकार और सेना के अहम पद अपने वफादारों को ही दिए थे.

2 करोड़ 20 लाख की आबादी वाले सीरिया में 12 फीसदी अल्पसंख्यक अलवी हैं. असद इसी समुदाय से संबंध रखते हैं. मध्य पूर्व के जानकार कहते हैं कि दमिश्क और उत्तरी शहर अलेपो में रहने वाला समाज का मध्यवर्ग ऐसा है जिस का समर्थन कुछ हद तक राष्ट्रपति को मिल सकता है. वे उत्साहित हो कर राष्ट्रपति के साथ नहीं हैं लेकिन स्थिरता और संपन्नता की गारंटी चाहते हैं.

अंतर बढ़ा

सीरिया में हाल के सालों के दौरान अमीर और गरीब के बीच अंतर लगातार बढ़ा है. शहर के व्यापारियों और दुकानदारों को फायदा हुआ है जबकि ग्रामीण इलाके पिछड़े ही रह गए. ले मोंडे डिप्लोमाटीक अखबार के अरबी संस्करण के मुख्य संपादक और सरकार विरोधी समीर आइता कहते हैं, "समाज में असमानता की भावना बहुत गहरी हुई है संभ्रात धड़े में भी. कई लोग मानते हैं कि सीरियाई पूंजीवाद सिर्फ दोस्तों और रिश्तेदारों के फायदे के लिए है. जैसे ही बुर्जुआ वर्ग के सहयोगियों को गोली लगेगी दमिश्क और अलेपो भी खड़े हो जाएंगे."

असद फिलहाल देश में धार्मिक मतभेद और बंटवारे का फायदा उठा रहे हैं. सीरिया में सुन्नियों की बहुलता है. अलवी, ईसाई. ड्रुजेन और शिया अल्पसंख्यक हैं. कई पादरी और बिशप राष्ट्रपति के साथ नहीं हैं लेकिन वे रविवार की प्रार्थना में उनकी प्रशंसा करते हैं. असद और उनके पिता के शासन में ईसाइयों को पूरी आजादी है. उनमें डर भी है कि अगर अगला शासन शियाओं का होता है तो उन्हें मुश्किल हो सकती है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

फिलहाल सीरिया पर लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है. अब तक सीरिया पर उसका कोई फर्क नहीं पड़ा है. पहली बार सीरियाई राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून से कहा है कि सेना और रक्षाकर्मियों ने विरोध कर रहे लोगों पर हमला बंद कर दिया है.

उधर संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन की प्रमुख नवी पिल्लई ने कहा है कि वह सोमवार को सीरिया पर एक आपात बैठक करने वाली हैं जिसमें सीरिया के विरोध प्रदर्शनों में मानवाधिकारों के हनन की स्थिति का विश्लेषण किया जाएगा.

रिपोर्टः डॉयचे वेले/आभा एम

संपादनः ए कुमार

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