आईएईए की रिपोर्ट से पहले ईरान पर हमले की धमकी
६ नवम्बर २०११ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर दुनिया भर की नजरें टिकी हैं और इस बीच इस्राएली राष्ट्रपति के बयान ने इस उबलते मुद्दे में और उफान भर दिया है. इस्रायल के एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में शिमोन पेरेज ने कहा, "अलग अलग देशों की खुफिया एजेंसियां जो ईरान पर नजर रख रही हैं वो चिंतित हैं. उन्होंने अपने देश के नेताओं पर दबाव बढ़ा दिया है और चेतावनी दी है कि ईरान परमाणु हथियार तैयार करने के बेहद करीब पहुंच चुका है. हमें इन देशों को यह जताना होगा कि वो अपने वादों को पूरा करें. यह जरूर होना चाहिए और विकल्पों की कमी नहीं है."
पिछले कुछ दिनों से इस्राएल में इस बात पर अटकलों का बाजार गर्म है कि वह ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले कर सकता है. बुधवार को स्थानीय हारेत्ज अखबार ने खबर दी कि प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री एहुद बराक हमले के लिए कैबिनेट का समर्थन हासिल करने की कोशिश में हैं. पिछले हफ्ते इस्राएली मीडिया के मुताबिक सेना ने "बैलिस्टिक मिसाइल" का परीक्षण किया है इसके साथ ही पारंपरिक या गैरपारंपरिक हथियारों से जवाबी हमले की सूरत में बड़े पैमाने पर नागरिक सुरक्षा के उपायों की भी तैयारी की गई है. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि ये दोनों कार्यक्रम बहुत पहले से ही तय थे.
रविवार को हारेत्ज ने खबर दी थी कि अमेरिकी अधिकारी इस्राएल से यह भरोसा हासिल करने में नाकाम रहे हैं कि ईरान पर हमले की स्थिति में वह अमेरिका से सहयोग करेगा. बिना नाम बताए अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से हारेत्ज ने बताया कि अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा ने हाल ही में अपनी इस्राएल की यात्रा की दौरान यह साफ कर दिया कि अमेरिका इस्राएली हमले की खबर से चौंकना नहीं चाहता. हालांकि इस्राएली नेताओं ने पैनेटा के इस बयान पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं जताई.
हालांकि मीडिया खबरों में कहा जा रहा है कि हमले पर आखिरी फैसला अभी नहीं हुआ है और यह भी कि 8 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी, आईएईए की रिपोर्ट इस फैसले का वक्त तय कर सकती है. अब तक की रिपोर्टों में आईएईए की तरफ से यह कहा जाता रहा है कि ईरान प्लूटोनियम और यूरेनियम तैयार कर रहा है जिनका इस्तेमाल ऊर्जा पैदा करने और दूसरे शांतिपूर्ण कामों के लिए हो सकता है लेकिन यह परमाणु हथियार बनाने के काम भी आ सकते हैं. हालांकि राजनयिकों के हवाले छन छन कर आ रही खबरों के मुताबिक नई रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि ईरान का ध्यान कथित रूप से यूरेनियम और प्लूटोनियम का उपयोग कर हथियार बनाने में करने पर है. इसके साथ ही इस हथियार को ढोने के लिए मिसाइल भी बनाने की तैयारी है.
उधर ईरान ने ऐसी आशंकाओं को बेबुनियाद बताते हुए कहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण कामों के लिए हैं. ईरानी विदेश मंत्री अली अकबर सालेही के बयान ईरान के अखबारों ने छापे हैं. इनमें सालेही ने कहा है, "मेरा यकीन है कि इन दस्तावेजों में सच्चाई का अभाव है. लेकिन अगर वे लोग इस बात पर अड़े हैं तो जाईये और इन्हें जारी कर दीजिए. हमेशा खतरे में रहने से अच्छा होगा कि खतरे का सामना किया जाए. हम बार बार यह कहते रहे हैं कि यह दस्तावेज आधारहीन हैं. उदाहरण के लिए नकली मुद्रा बनाई जा सकती है लेकिन वह हमेशा नकली ही रहेगी. यह दस्तावेज भी वैसे ही हैं."
ईरानी विदेश मंत्री का कहना है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम तकनीकी या कानूनी मसला नहीं बल्कि राजनीतिक मसला है. सालेही के मुताबिक, "अगर आईएईए इसे तकनीकी या कानूनी नजरिए से देखे तो सबकुछ बहुत साफ साफ नजर आ जाएगा."
इस्राएली रक्षा विश्लेषकों ने ईरान के इस कार्यक्रम को "खतरनाक" बताया है और विदेश मंत्री अविग्डोर लिबरमैन ने कहा है कि रिपोर्ट इस कार्यक्रम के सैन्य उद्देश्यों को "शक के दायरे से" बाहर निकाल देगी. विदेश मंत्री ने यह भी कहा है कि ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का एक नया दौर शुरू होगा. इस्राएली अखबार का कहना है कि इस्राएल की सुरक्षा कैबिनेट के 15 सदस्य अभी भी हमले के खिलाफ हैं. हारेत्ज ने एक ओपिनियन पोल का नतीजा भी छापा है जिसमें 41 फीसदी लोग हमले के पक्ष में और 39 फीसदी लोग हमले के खिलाफ हैं. 20 फीसदी लोग अनिर्णय की स्थिति में हैं.
रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन
संपादनः ओ सिंह