आधा पैसा देकर काला धन सफेद
५ अप्रैल २०१२गुरुवार को जर्मनी और स्विस सरकारों के प्रतिनिधियों ने बर्न में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके अनुसार स्विस बैंकों में जमा जर्मन नागरिकों के खातों पर 21 से 41 फीसदी टैक्स वसूला जाएगा. खाताधारकों से वसूली गई यह राशि बाद में जर्मनी ट्रांसफर कर दी जाएगी. जर्मनी में टैक्स बचाने के लिए स्विट्जरलैंड में जमा पैसों पर पहले 19 से 34 फीसदी टैक्स की योजना थी.
जर्मनी को इस समझौते से 10 अरब यूरो का टैक्स मिलने की उम्मीद है. विपक्षी दल एसपीडी इसे संभव नहीं मानती और समझौते का विरोध कर रही है. उसका कहना है कि जनवरी 2013 से लागू होने वाला यह समझौता कर चोरी के नई संभावनाएं देता है. समझौते के लागू होने के लिए उसका दोनों देशों की संसद में अनुमोदन जरूरी है.
मुश्किल है अमल
एसपीडी के प्रमुख जिगमार गाब्रिएल ने कहा, "इसे समर्थन देने की कोई संभावना नहीं है. इसके जरिए कर चोरी के लाखों मामलों को वैध बनाया जा रहा है." उनका कहना है कि 2013 तक जर्मन कर चोरी करने वाले गुपचुप अपना काला धन स्विट्जरलैंड से बाहर ले जा सकते हैं. इसलिए भी 10 अरब यूरो जमा करना संभव नहीं है. ग्रीन पार्टी के प्रमुख युर्गेन ट्रिटीन ने कहा है कि कर चोरों को गुमनामी की गारंटी देने वाले समझौते का समर्थन संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि इस समझौते से जर्मन अधिकारियों को वे अधिकार नहीं मिलेंगे जो अमेरिकी अधिकारियों को मिले हैं.
संसद के ऊपरी सदन में चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार को बहुमत नहीं है. उसे एसपीडी और ग्रीन पार्टी के समर्थन की जरूरत है. जर्मनी के वित्त मंत्री वोल्फगांग शौएब्ले ने समझौते के लिए एसपीडी से समर्थन मांगते हुए उसे समस्या का संतुलित समाधान बताया है. उन्होंने कहा, "इस तरह न्याय की बहाली होगी."
50 फीसदी टैक्स
नए समझौते में स्विस बैंकों में जमा जर्मन नागरिकों के पिछले 10 साल की धनराशि को शामिल किया जाएगा. दोनों देशों ने इसमें विरासत में छोड़ी गई संपत्ति को शामिल करने का फैसला किया है. स्विस बैंकों में जमा काले धन के जर्मन वारिसों को या तो 50 प्रतिशत टैक्स देना होगा या उन्हें जर्मन अधिकारियों को विरासत के बारे में जानकारी देनी होगी और उसके बाद उसपर नियमों के हिसाब से कर देना होगा.
समझौते में तय किया गया है कि भविष्य में स्विस बैंकों में ब्याज से होने वाली आय पर हर साल 26.4 प्रतिशत टैक्स देना होगा. जर्मनी में भी ब्याज पर इतना ही टैक्स लिया जाता है. इसके अलावा जर्मन टैक्स अधिकारी हर साल 1300 मामलों में स्विस अधिकारियों से खातों की जानकारी मांग सकते हैं.
इस सबके बावजूद बहुत से लोग इस समझौते की कड़ी आलोचना कर रहे हैं. भूमंडलीकरण विरोधी संगठन अटाक के डेटलेव लार्चर ने इस बीत की आलोचना की है कि करचोर भविष्य में भी गुमनाम रह सकेंगे. वे कहते हैं, "ईमानदार करदाता वेबकूफ बनेगा."
इस समझौते से भारत में एक बार फिर स्विट्जरलैंड से काला धन वापस लाने की मांग में तेजी आएगी. भ्रष्टाचार विरोधी गैर सरकारी संगठनों का कहना है कि भारतीय नेताओं और अधिकारियों का हजारों अरब डॉलर काला धन स्विस बैंकों में जमा है. खुद भारत सरकार इस बारे में कोई जानकारी नहीं दे रही है. जर्मन प्रांत नॉर्थराइन वेस्टफेलिया के वित्त मंत्री नॉर्बर्ट वाल्टर बोर्यांस का कहना है कि करचोरी के सैकड़ों अरब यूरो स्विस बैंकों में जमा हैं.
एमजे/एजेए (डीएपीडी, एएफपी)