आपदाओं से अरबों का नुकसान
१६ दिसम्बर २०११जापान के फुकुशीमा में इस साल मार्च में आए भूकंप और सूनामी ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई. अकेले जापान में ही 210 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. इससे पहले फरवरी में न्यूजीलैंड के क्राइस्ट चर्च में भूकंप के आने से काफी नुकसान पहुंचा था. 2010 में नुकसान की कुल राशि 226 अरब डॉलर थी.
हालांकि बीमा कंपनियों के लिए यह सबसे ज्यादा नुकसान वाला साल नहीं रहा. इस साल बीमा कंपनियों को 108 अरब डॉलर चुकाना पड़ा है. यह 2010 की राशि से दुगुने से भी ज्यादा है. 2010 में बीमा कंपनियों को 48 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था. लेकिन 2005 में अमेरिका में कटरीना, विल्मा और रीटा तूफान के आने से सबसे ज्यादा तबाही मची.
उस समय बीमा कम्पनियों को 123 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. स्विस री ने एक बयान में कहा है, "आपदाओं के कारण बीमा राशि चुकाने के लिहाज से 2011 बीमा कंपनियों के लिए अब तक का सबसे महंगा साल रहा है." कंपनी के मुताबिक यह आंकड़े साल के पहले ग्यारह महीनों के हैं. अगर थाईलैंड में चल रही बाढ़ और यूरोप में सर्दियों में होने वाले तूफानों को गिना जाए तो हो सकता है कि पूरे साल की राशी 2005 का रिकॉर्ड तोड़ दे.
स्विस री का कहना है कि इस साल की रकम और भी ज्यादा हो सकती थी लेकिन जापान में अधिकतर संपत्ति बीमाकृत नहीं थी. इसलिए वहां बीमा कंपनियों को केवल 35 अरब डॉलर का बोझ उठाना पड़ा. स्विस री के मुख्य अर्थशास्त्री कर्ट कार्ल ने इस बारे में कहा, "2011 एक दुखद और भूकंप के लिहाज से महंगा साल साबित हो रहा है. दुर्भाग्य से भूकंप को लेकर अभी भी बीमा बहुत कम है. जापान जैसे औद्योगीकृत देशों में भी, जहां भूकंप का खतरा बहुत अधिक है. तो एक तरफ तो लोग अपने प्रियजनों को खो देते हैं और साथ साथ समाज को आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ता है. यह नुकसान या तो कुछ गैर सरकारी संस्थाओं को उठाना पड़ता है या राहत कार्य करने वाली संस्थाओं का या फिर सरकार को ही. आखिरकार करदाताओं को ही इसका बोझ उठाना पड़ता है."
इसके विपरीत न्यूजीलैंड में हुई त्रासदी में अधिकतर संपत्ति बीमाकृत थी. वहां 15 अरब डॉलर का नुकसान हुआ और इसमें से ज्यादातर बीमा कम्पनियों ने उठाया. इसके अलावा थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया में आई बाढ़ से भी बीमा कम्पनियों को दस अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है.
रिपोर्ट: एएफपी/ ईशा भाटिया
संपादन: एमजी