एशिया में बढ़ती इंटरनेट की लत
२६ अप्रैल २०११इंटरनेट की लत ऐसी है कि लोग हर समय अपने मोबाइल फोन पर भी ऑनलाइन रहना पसंद करते हैं. हर दस मिनट में लोग अपने फोन पर फेसबुक और ट्विटर जैसी वेबसाइटों पर स्टेटस चेक करते हैं. बच्चों के अपने स्कूल के कैम्पस में उतने दोस्त नहीं होते जितने इन सोशल नेट्वर्किंग वेबसाइटों पर. एशियाई प्रशांत क्षेत्र के देशों में हर साल दस करोड़ स्मार्ट फोन्स बिकते हैं. जानकारों का मानना है कि अगले पांच सालों में यह संख्या दोगुनी हो जाएगी. और ऐसा होने से इस लत के कम होने के कोई आसार नहीं हैं.
इंटरनेट की लत के अजीबो गरीब मामले
कई बार इंटरनेट की लत के नतीजे इतने बुरे होते हैं कि अपनी जान भी खो देनी पड़ती है. पिछले महीने ही दक्षिण कोरिया में अपनी मां का कत्ल करने के बाद एक 15 साल के बच्चे की आत्महत्या का मामला सामने आया था. कत्ल की वजह बस इतनी थी कि मां ने बच्चे को इंटरनेट पर गेम खेलने से मना कर दिया था.
यह मामला चौका देने वाला जरूर है लेकिन नया नहीं है. पिछले साल भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था जब एक मां ने अपने तीन साल के बेटे को इस लिए मार दिया क्योंकि वो इंटरनेट पर गेम खेलते खेलते इतनी थक गई थी कि बच्चे की बातें सुनने की उस में हिम्मत नहीं थी. इसी तरह से दक्षिण कोरिया के एक दंपत्ति को जेल जाना पड़ा क्योंकि वो इंटरनेट पर एक काल्पनिक बच्ची के साथ इस कदर मसरूफ थे कि वे अपनी खुद की छोटी सी बच्ची को ही भूल गए. उन्हें यह भी नहीं याद रहा कि उन्हें अपनी बच्ची को खाना खिलाना है और वह भूख से तड़प कर मर गई.
सरकारों की सिरदर्दी
स्योल सरकार के अनुसार पांच करोड़ की आबादी वाले देश में बीस लाख लोगों को इंटरनेट की लत है. इसीलिए इस साल से सरकार मुफ्त सॉफ्टवेयर बांटेगी जिनसे लोगों के इंटरनेट इस्तेमाल को नियंत्रण में लाया जा सके. साथ ही सरकार संसद में एक सिंड्रेला लॉ भी प्रस्तुत करने के बारे में सोच रही है. इस कानून के तहत 15 साल से कम उम्र के बच्चों को आधी रात से सुबह छह बजे तक इंटरनेट पर गेम खेलने की इजाजत नहीं होगी.
इसी तरह जापान के गृह मंत्रालय ने भी चेतावनी देते हुए कहा है कि युवाओं की इंटरनेट की लत उन्हें उदासीन बना रही है और यह उनकी सेहत और सामाजिक रिश्तों के लिए भी बुरा है. मलेशिया की सरकार को भी चिंता सता रही है क्योंकि रिपोर्टों के अनुसार फेसबुक पर सबसे ज्यादा दोस्त मलेशिया के लोग ही बनाते हैं. जहां चीन के हर व्यक्ति की सूची में औसतन 68 दोस्त हैं और जापान में 29, वहीं हर मलेशियाई व्यक्ति की सूची में औसतन 233 दोस्त हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया
संपादन: उभ