ओलंपिक से पहले भारत में बढ़ता विवाद
३१ मार्च २०१२भारत सरकार ने खेल मंत्रालय की सचिव सिंधुश्री खुल्लर को अचानक योजना आयोग में भेज दिया है. 1975 बैच की आईएएस अधिकारी खुल्लर लंदन ओलंपिक की तैयारियों में जी जान से लगी थीं. सुरेश कलमाड़ी के कॉमनवेल्थ गेम घोटाले में फंसने के बाद से भारतीय ओलंपिक संघ पहले ही कार्यकारी अध्यक्ष से काम चला रहा है, जबकि हॉकी संघ दो गुटों में बंटा है. महिला रीले टीम की धाविकाएं डोपिंग टेस्ट में पकड़ी गई हैं और टॉप निशानेबाज राइफल एसोसिएशन के साथ टकराव कर बैठे हैं. मुश्किल से एक पदक जीतने वाले भारतीय खिलाड़ी ऐसे में इस बार के ओलंपिक में क्या गुल खिलाएंगे, समझना ज्यादा मुश्किल नहीं.
खेल मंत्रालय ने इस बार ओलंपिक के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया और अपनी तैयारियों का खूब डंका बजाया. खुल्लर को मंत्रालय की विशेष स्टीयरिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था. ऐसे में उनका तबादला खेल विशेषज्ञों को हजम नहीं हो रहा है. दो हफ्ते पहले ही जब खेल मंत्री अजय माकन की प्रेस कांफ्रेंस हुई, तो उसमें खुल्लर ने तैयारियों का जिक्र किया और यह भी कहा कि वह खुद लंदन जा रही हैं.
सवाल यह है कि अचानक उनका तबादला क्यों करना पड़ा. खेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी इस तबादले को प्रोमोशन बता रहे हैं. लेकिन सचिव को सचिव बना कर ही दूसरी जगह भेजना गले नहीं उतर रहा है. खेल मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि मंत्री माकन और खुल्लर में तकरार चल रही थी. इसीलिए उन्होंने सचिव को प्रोमोशन दिला कर पीछा छुड़ा लिया.
डोपिंग टेस्ट में फेल होने वाली छह महिला एथलीटों को लेकर भी माकन और खुल्लर में मतभेद की खबरें हैं. इन एथलीटों को सोनीपत में ट्रेनिंग दी जा रही थी. जबकि विश्व एंटी डोपिंग एजेंयी वाडा के नियमों के मुताबिक एथलीटों को सरकारी मदद तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक वे अपने ऊपर लगी पाबंदी की सीमा पूरी न कर लें.
लेकिन खेल प्राधिकरण की मदद से इन एथलीटों को सोनीपत में न सिर्फ ट्रेनिंग दी गई, बल्कि उन्हें वहां रखा भी गया. इसके लिए सरकार ने कोई नोटिस जारी नहीं किया, बल्कि मुंह जुबानी आदेश दे दिया. इनके लिए एथलेटिक्स के कोच हरबंस सिंह को भी नियुक्त किया गया. सूत्रों का कहना है कि यह सब बातें माकन की जानकारी में थीं.
पिछल महीने जब खुल्लर ने इस बात की पुष्टि की तो मीडिया ने इस खबर को खूब उछाला. इसके बाद खेल मंत्रालय ने मामले की जांच के आदेश दिए. समझा जाता है कि खुल्लर का यह खुलासा ही उनके 'प्रमोशन' की वजह बना.
भारतीय खिलाड़ियों के साथ साथ खेल मंत्रालय का लंदन ओलंपिक समिति से डाऊ कंपनी को लेकर भी मतभेद चल रहा है. डाऊ ओलंपिक का बड़ा प्रायोजक है. उसने यूनियन कार्बाइड कंपनी को खरीद लिया है, जिसकी फैक्ट्री में 1984 में भोपाल में भयानक हादसा हुआ था. भारत में ऐसी चर्चा भी है कि इस हालत में भारतीय खिलाड़ी लंदन ओलंपिक में हिस्सा नहीं लेंगे. इन सब दबावों के बीच भारतीय खिलाड़ी कुछ करिश्मा दिखाने लंदन पहुंचने वाले हैं.
रिपोर्टः नॉरिस प्रीतम, दिल्ली
संपादनः ओ सिंह