ओलांद के आगे अकेली पड़तीं मैर्केल
२२ मई २०१२यूरोपीय संघ के सम्मेलन से ठीक पहले फ्रांस के नए राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने कहा कि वह यूरो बांड्स का प्रस्ताव रखेंगे. जर्मन चासंलर अंगेला मैर्केल अब तक इसका विरोध करती आ रही है. फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोला सारकोजी इस मुद्दे पर मैर्केल के साथ थे. लेकिन अब फ्रांस की सत्ता ओलांद के हाथ में है.
अमेरिका में जी-8 की बैठक के बाद ओलांद ने कहा, "23 मई की गैर आधिरकारिक बैठक में मैं इस विकास के सभी प्रस्तावों का खाका रखूंगा. प्रस्तावों के इस पैकेट में यूरो बांड्स का मुद्दा भी होगा और इसे प्रस्तावित करने वाला मैं अकेला नहीं होऊंगा. जी-8 में मैं इसकी पुष्टि कर चुका हूं."
रिपोर्टें हैं कि इटली के प्रधानमंत्री मारियो मोंटी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ओलांद के प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं. प्रस्ताव के मुताबिक ऐसे बांड जारी किए जाएंगे, जिनकी गारंटी यूरो जोन का हर देश देगा.
जर्मन चासंलर अब तक इसका कड़ा विरोध करती आ रही हैं. मैर्केल के मुताबिक सख्त बजट अनुशासन में रहने वाले देशों को दी जाने वाली सुविधाएं बाजार से नया कर्ज मिलने पर टूट सकती हैं. बांड जर्मनी के कर्ज को बढ़ा सकते हैं, यह यूरो जोन के अन्य देशों की तुलना में अभी बहुत कम है. जर्मनी के कर्ज को लेकर अभी बाजार सुरक्षित महसूस करता है.
वहीं फ्रांसीसी राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान ही कह चुके थे कि वह यूरो और यूरो जोन के बचाने के लिए मैर्केल की कटौती योजना का विरोध करेंगे. ओलांद आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं. सोशलिस्ट पार्टी के नेता वित्तीय संधि पर फिर से नया समझौता चाहते हैं. समझौता इसी साल की शुरुआत में हुआ. इस पर यूरो जोन के 25 देशों की दस्तखत हैं. समझौते में बजट अनुशासन पर जोर दिया गया है.
बीते मंगलवार को बर्लिन में जर्मनी और फ्रांस के शीर्ष नेताओं की पहली मुलाकात हुई. ओलांद पहले विदेशी दौरे पर जर्मनी पहुंचे. बर्लिन में मैर्केल और ओलांद ने कहा कि वे आपसी मतभेदों को जून अंत में होने वाले ईयू सम्मेलन से पहले हल कर लेंगे. दोनों ने यूरोपीय संघ के विकास के लिए फ्रांस-जर्मनी की दोस्ती पर फिर बल दिया.
लेकिन अब बुधवार को यूरोपीय संघ का एक सम्मेलन हो रहा है. जर्मन पत्रिकाओं का कहना है कि मैर्केल फ्रांस के संसदीय चुनाव खत्म होने से पहले ओलांद के साथ कोई नया समझौता नहीं करेंगी. फ्रांस में 10 और 17 जून को संसदीय चुनाव हैं. मैर्केल चाहती हैं कि चुनाव में भी ओलांद की सोशलिस्ट पार्टी की जीत हो. अगर दक्षिणपंथियों की जीत हुई तो समझौतों की राह और कठिन हो जाएगी.
रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी
संपादन: आभा मोंढे