कमांडो करेंगे बाघ की रक्षा
५ जनवरी २०१२'स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स' के तहत 54 कमांडो को खास ट्रेनिंग दी गई है. ये बांदीपुर और नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की रक्षा करेंगे. ये दोनों राष्ट्रीय उद्यान कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमा पर स्थित हैं. कर्नाटक सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार स्पेशल फोर्स के कमांडो को तीन महीने तक प्रशिक्षण दिया गया है. ट्रेनिंग के दौरान इन्हें सिखाया गया कि किस तरह से जंगल में खुद को सुरक्षित रखा जाए और जरूरत पड़ने पर किस तरह से हथियारों का इस्तेमाल किया जाए.
बाघ संरक्षण फोर्स
कर्नाटक सरकार के प्रवक्ता बीके सिंह ने बताया, "हमारी योजना है कि हम ऐसे ही और 54 कमांडो तैयार करें ताकि राज्य के बाकी तीन टाइगर रिजर्व में इन्हें तैनात किया जा सके." ट्रेनिंग के बारे में सिंह ने बताया, "उन्हें शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाएगा, हथियारों के साथ और हथियारों के बिना लड़ना सिखाया जाएगा, फील्ड इंजीनियरिंग और नक्शे पढ़ना भी सिखाया जाएगा."
1947 में जब भारत आजाद हुआ तब देश में बाघों की संख्या करीब चालीस हजार थी. आज दुनिया में करीब तीन हजार बाघ ही बचे हैं, जिनमें से आधे भारत में हैं. 2010 के आंकड़ों के अनुसार भारत में सबसे अधिक बाघ कर्नाटक में मौजूद हैं. राज्य के छह टाइगर रिजर्व में करीब तीन सौ बाघ है.
चोरी का कारोबार
कर्नाटक वन विभाग के अनुसार 2006 से राज्य में करीब पचास बाघ मारे जा चुके हैं. बाघों का उनकी खाल और हड्डियों के लिए शिकार किया जाता है. इन्हें अधिकतर चीन में बेचा जाता है जहां बाघ की हड्डियों से दवाएं बनाई जाती हैं. चीन में माना जाता है कि बाघ की हड्डियों से नपुंसकता का इलाज किया जा सकता है.
भारत में बाघों के संरक्षण के लिए बनाई गई संस्था 'नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी' ने पचास करोड़ रुपये का बजट तैयार किया है. इस राशि को नए फोर्स की ट्रेनिंग पर खर्च किया जाएगा, ताकि देश के सभी तेरह टाइगर रिजर्व में उन्हें तैनात किया जा सके और बाघों का शिकार किए जाने पर रोक लगाई जा सके.
रिपोर्ट: एएफपी/ईशा भाटिया
संपादन: महेश झा