कुत्ते के मांस का अवैध कारोबार
१९ अगस्त २०१३वियतनाम में एक कुत्ता करीब 60 डॉलर में बिकता है. यहां कुत्ते का मांस बहुत चाव से खाया जाता है, लेकिन हनोई के मध्यमवर्गीय लोगों को नहीं पता कि जिसे वो इतना स्वाद लेकर खा रहे हैं वो मांस आया कहां से है. पिछले कुछ सालों से पूरे एशिया में कुत्ते के मांस का अवैध कारोबार बढ़ कर करोड़ों डॉलर तक जा पहुंचा है. जानकारों का कहना है कि यह गैरजरूरी रूप से बेहद क्रूर और लोगों की सेहत को जोखिम में डालने वाला है.
अनुमान है कि हर साल लाखों पालतू और सड़कछाप कुत्तों को थाईलैंड में अपराधियों के गुट चोरी छिपे निकाल कर ले जा रहे हैं. जानवरों के अधिकार के लिए काम करने वाले लोगों का कहना है कि स्थानीय बाजार में कुत्ते के मांस की मांग कम होने के कारण इसे विदेशों में बेचना काफी फायदेमंद साबित होता है. सोई डॉग फाउंडेशन के सह संस्थापक जॉन डेले ने बताया, "इन कुत्तों में ज्यादातर पालतू हैं जिन्हें चुराया गया है. अधिकांश थाई लोग अपने कुत्तों को रात के वक्त घर के भीतर नहीं रखते, इसलिए उन तक पहुंचना आसान हैं और उस वक्त उन्हें पकड़ने की कोशिश की जा सकती है."
छोटे छोटे पिंजरों में कैद कर उन्हें ट्रकों में भर कर लाओस के जरिए सड़क और नदी के रास्ते वियतनाम पहुंचा दिया जाता है, जहां कुत्तों को मारना और उनका मांस खाना कानूनी तौर पर मान्य है. हालांकि इस दौरान उन्हें जबर्दस्ती खिलाया जाता है और कई बार उनकी मौत भी हो जाती है.
डेले ने बताया, "हमारे पास इसके सबूत हैं कि कई कुत्ते रास्ते में ही मर जाते हैं. कई बार वो उन्हें कई दिनों तक दबा कर रखते हैं जिससे कि वो लोगों के खाने के लिए वो ताजा दिखें." डेले ने डीडब्ल्यू को यह भी बताया कि ऐसी भी कई घटनाएं हुई हैं जब कुत्ते रेबीज जैसी बीमारी से पीड़ित मिले और उन्हें बेचने वाले ही इस बीमारी से मर गए.
एशिया में खानपान के जानकार बताते हैं कि कुत्ते के मांस के कारोबार पर बहुत कम काम हुआ है. दक्षिण कोरिया, चीन और वियतनाम में कुत्ते का मांस बहुत खाया जाता है लेकिन फिर भी स्थिति चिंता में डालने वाली है. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के वरिष्ठ पशु उत्पादन और स्वास्थ्य अधिकारी योआखिम ओटे ने कहा, "कुत्तों के मामले में मांस तैयार करने और जो लोग यह मांस खा रहे हैं उनके स्वास्थ्य पर जोखिम का ध्यान रखा जाना चाहिए." इसी साल मई में हजारों कुत्तों की खोपड़ियां मध्य थाईलैंड के एक कूड़े के ढेर से मिलीं. स्थानीय मीडिया ने कहा कि कुत्तों को मांस में बदल दिया गया.
पशु अधिकारों के लिए काम करने वालों का कहना है कि थाई सरकार को ऐसे रैकेट चला रहे गिरोहों को पकड़ने के लिए आगे आना होगा. इस साल कई गिरफ्तारियों के बावजूद कारोबार खूब फल फूल रहा है. केवल वियतनाम में ही हर साल 10 लाख कुत्तों को लोग खा जाते हैं. हालांकि थाईलैंड सरकार ने पकड़े गए और आवारा कुत्तों को रखने के नए केंद्र बनाने के लिए पैसे दिए हैं लेकिन फिर भी पैसों की कमी हो रही है. कुछ लोग भ्रष्टाचार को भी कारोबार के बढ़ने का कारण मानते हैं. इनसे निबटने के लिए सोई डॉग फाउंडेशन ने थाईलैंड और लाओस में कार्यकर्ताओं को तैनात किया है जो कुत्तों की गतिविधियों के बारे में पहले से जानकारी देते हैं. अधिकारियों को इस बारे में खबर मिलती है और मेकॉन्ग नदी में गश्त कर रही थाई नौसेना इन जानकारियों के आधार पर छापा मारती है.
ऐसी भी खबरें हैं कि एक कुत्ते को जब मारा जाता है तो दूसरे कुत्ते उसे देखते हैं. इससे उनमें तनाव वाले हार्मोन्स पैदा होते हैं. ऐसी धारणा है कि इससे मांस का स्वाद बढ़ जाता है. संयुक्त राष्ट्र की संस्था एफएओ से जुड़े ओटे का कहना है, "यह इंसान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पशुओं के साथ तय व्यवहार के एकदम खिलाफ है." उन्होंने यह भी बताया कि यूरोप में हुए टेस्ट के नतीजे इसके बिल्कुल विपरीत रहे थे. वहां सूअरों पर किए टेस्ट से पता चला कि तनाव से मांस पर बुरा असर पड़ता है. समाजसेवी संगठनों ने सरकार के साथ हाथ मिलाया है और कोशिश यह है कि कुत्ते के मांस का कारोबार नियंत्रित, नियोजित और सुरक्षित हो.
रिपोर्टः निक मार्टिन/एनआर
संपादनः महेश झा