कोच्चि की किस्मत का फैसला फिर टला
२८ नवम्बर २०१०नागपुर में आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में बीसीसीआई ने विवाद सुलझाने के लिए दी गई महीने भर की समयसीमा खत्म होने के बाद तीसरी बार इस फ्रैंचाइजी को लेकर अपना फैसला टाला है. बैठक के बाद बीसीसीआई के अध्यक्ष शशांक मनोहर ने पत्रकारों को बताया, "उन्होंने अपने स्वामित्व का पैटर्न हमें बताया. हमारे कानूनी विशेषज्ञ इन दस्तावेजों को देखेंगे. निवेशकों के साथ कोई बातचीत नहीं हुई क्योंकि हम कोई कानूनी विशेषज्ञ नहीं हैं. इस बारे में बीसीसीआई 5 दिसंबर को मुंबई में कोई फैसला लेगी."
आईपीएल की बोली में सबसे ऊंचे दामों में बिकने के सात महीनों के भीतर ही कोच्चि फ्रैंचाइजी के अस्तित्व पर स्पष्ट खतरा मंडरा रहा है. लेकिन इसमें पैसा लगाने वाले लोगों ने शनिवार को ऐन वक्त पर समझौता किया ताकि कोच्चि को बचाया जा सके. इस समझौते से पहले 1533.33 करोड़ रुपये में बिकने वाली कोच्चि फ्रैंजाइजी के मालिकों ने बीसीसीआई से लिखित रूप से कहा कि वे आईपीएल से हटना चाहते हैं.
इससे पहले 10 अक्टूबर को बीसीसीआई कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट का कथित उल्लंघन करने के लिए किंग्स इलेवन पंजाब और राजस्थान रॉयल्स को आईपीएल से निकाल चुका है. कोच्चि को अपने अंदरूनी विवाद सुझलाने के लिए बीसीसीआई की तरफ से 30 दिन की समयसीमा दी गई थी.
कोच्चि टीम पर मालिकाना हक निवेशकों के एक समूह का है जिसके पास 74 फीसदी की हिस्सेदारी है. बाकी बचा 26 फीसदी हिस्सा गायकवाड़ परिवार को उनकी सेवाओं के लिए मुफ्त में दिया गया है. इसमें शैलेंद्र गायकवाड़, उनके भाई रवि और उनके मां-बाप शामिल हैं. यही 26 फीसदी हिस्सेदारी टीम के लिए मुसीबत की जड़ बन गई है क्योंकि निवेशक मुफ्त में हिस्सेदारी देने के लिए तैयार नहीं हैं. उधर गायकवाड़ परिवार अपनी हिस्सेदारी छोड़ने को तैयार नहीं. निवेशकों के समूह में एंकर अर्थ, पारिणी डेवलपर्स, रोजी ब्लू और फिल्म वेव शामिल हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एन रंजन