चेलों को चमत्कार दिखा गुरु गैरी का गुड बाय
३ अप्रैल २०११करोड़ों भारतीयों की वर्ल्ड कप जीतने की तमन्ना पूरी करने के बाद 'मिशन ओवर' के नारे के साथ गैरी कर्स्टन भारतीय टीम से विदा ले रहे हैं. तीन साल तक मीडिया, विवादों और दिखावे से दूर रह कर भारतीय टीम को नई शक्ल देने वाले गैरी टीम को वर्ल्ड कप जिता कर अपने वतन लौट रहे हैं. उनके जेहन में भारत की मीठी यादें हैं.
वह कहते हैं, ''मैं भारतीय लोगों के व्यवहार का कायल हूं. कोचिंग को लेकर मेरा बहुत ज्यादा अनुभव नहीं था. लेकिन सामान्य जानकारी मुझे थी. जब सुनील गावस्कर ने मुझसे संपर्क किया तो आराम से केपटाउन में अपनी अकादमी चला रहा था. मैंने प्रस्ताव स्वीकार किया और खुद से कहा कि अब आराम त्यागने का वक्त आ गया है. कई लोगों ने मुझे अलग अलग राय दी लेकिन मैं जानता था कि अगर मुश्किल काम को साधना है तो कड़ी मेहनत करनी होगी. मैंने भारतीय खिलाड़ियों को जितना प्रभावित किया है, उतना ही उनसे सीखा भी है. भारतीय सोच और भारतीय लोगों के बारे में. खिलाड़ियों ने हमेशा मुझे पसंद किया और मैंने उन्हें.''
11 साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले कर्स्टन की गिनती आज भी दक्षिण अफ्रीका के सबसे सफल सलामी बल्लेबाजों में होती है. अब कोचिंग को लेकर भी कई देश उन पर निगाहें लगाए बैठे हैं. खुद दक्षिण अफ्रीका चाहता है गैरी उन्हें क्रिकेट की बारीकियां सीखाएं. वहीं भारत में सचिन तेंदुलकर से लेकर महेंद्र सिंह धोनी तक हर कोई उनकी तारीफ करता है. लेकिन गैरी अपने परिवार को और उनका परिवार गैरी को मिस कर रहा है. यही वजह है कि कोच पारिवारिक दायित्वों को निभाने के लिए भारतीय टीम से विदा लेने जा रहे हैं. गैरी वर्ल्ड कप से पहले ही साफ कर चुके थे कि वनडे के महाकुंभ के बाद वह वापस दक्षिण अफ्रीका लौट जाएंगे.
अब टीम के जश्न के साथ उनकी विदाई का गम भी जुड़ गया है. भारतीय क्रिकेट बोर्ड चाहता है कि गैरी छह महीने या साल भर की छुट्टी ले लें. छुट्टियां बिताने के बाद वह दोबारा टीम इंडिया को कोचिंग दें. उम्मीद जताई जा रही है कि इन विकल्पों पर बीसीसीआई कर्स्टन से बातचीत करेगी. बहरहाल गैरी इस बारे में कुछ नहीं कह रहे हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: ए जमाल