जर्मनी में भी चलते हैं रिक्शा
१५ सितम्बर २०११यूरोप में रिक्शा भले ही आम तौर पर सड़कों पर न दिखें, लेकिन कुछ बड़े शहरों में इनका चलन शुरू हो गया है. खास तौर से जर्मनी में तो रिक्शा काफी लोकप्रिय होने लगे हैं. बर्लिन और कोलोन जैसे शहरों में पर्यटकों के लिए रिक्शा एक बड़ा आकर्षण हैं. जर्मनी के इन शहरों में पर्यटक घंटों पैदल चलने की जगह रिक्शा की सवारी का मजा लेते हैं और शहर घूमते हैं.
हालांकि इसके लिए उन्हें अपनी जेब भी हल्की करनी पड़ती है. रिक्शा की सवारी के लिए 10 से लेकर 100 यूरो तक खर्चा होता है, यानी 600 से 6000 रुपये के बीच.
योहानेस विटिष करीब दो दशकों से कोलोन में रिक्शा चला रहे हैं. 18 साल पहले उन्होंने पहली बार भारत से रिक्शा मंगवाया. आज योहानेस की अपनी एजेंसी है. रिक्शा चलाने के लिए उनके पास कई ड्राइवर हैं जिनके पास खास रिक्शा चलाने का लाइंसेंस है.
ये रिक्शा अलग अलग तरह के हैं. कुछ तो भारत से ही मंगाए गए हैं, लेकिन कई को जर्मनी में बनाया गया है. इनमें से कुछ मोटर से भी चलते हैं. अधिकतर रिक्शा देखने में कार जैसे होते हैं. रिक्शा चलाने वाले और पीछे बैठे लोगों को धूप और बारिश से बचाने के लिए इन पर छत भी होती है. बस देखने में ऐसा लगता है जैसे कार के दरवाजे हटा दिए गए हों.
इन आधुनिक मॉडर्न रिक्शा के अलावा रंग बिरंगे हिन्दुस्तानी रिक्शा भी दिख जाएंगे जिन पर शाहरुख खान और ऐश्वर्या राय की तस्वीरें लगी हैं. रिक्शा के पीछे भगवान शिव की तस्वीर के साथ 'मेड इन इंडिया' भी पेंट किया होता है. योहानेस का कहना है कि 16 साल पहले खरीदा हुआ हिन्दुस्तानी रिक्शा ही उनका सबसे पसंदीदा रिक्शा है. वह बताते हैं, "मुझे इसे चलाने में बहुत मजा आता है. यह बाकियों की तुलना में अधिक रफ्तार पर चलता है और इसे चलाने में ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती."
रिक्शा के महंगे दाम के बावजूद सैलानी इनमें घूमना पसंद करते हैं. योहानेस बताते हैं, "आम तौर पर अगर आप टैक्सी लेंगे तो बस एक सड़क पार करने के ही आपको छह यूरो देने पड़ेंगे. ऐसे में टूरिस्टों को यह इतना महंगा नहीं लगता. और वैसे भी बस और टैक्सी में तो पूरी दुनिया घूमती है, लेकिन रिक्शा में घूमना एक अलग ही अनुभव होता है. कुछ लोगों ने तो यहां आने से पहले कभी रिक्शा देखा भी नहीं होता. ऐसे लोगों को रिक्शा की सवारी में बहुत ज्यादा मजा आता है."
पर्यटन के अलावा रिक्शा शादियों के लिए भी बुक किए जाते हैं. जर्मनी में रहने वाले भारतीय इन्हें खास तौर से बुक करते हैं ताकि शादी में इन्हें दुल्हन की डोली के तौर पर इस्तेमाल किया जा सके. जर्मन भी शादियों के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं. योहानेस शादी के मौके पर रिक्शा को खास सजा कर लाते हैं. सफेद फूलों से सजे रिक्शा के पीछे 'जस्ट मैरिड' का बोर्ड लगाया जाता है.
इनके अलावा यहां कान्फ्रेंस रिक्शा का भी चलन है. यह ऐसी साइकल होती है जिस पर एक साथ छह से सात लोग बैठ सकते हैं और एक दूसरे से बातें करते हुए इसे चला सकते हैं. लोग एक दूसरे के पीछे नहीं बल्कि बगल में बैठते हैं जिस से 'राउंड टेबल' का अहसास होता है. साथ ही कार्नीवाल और अक्टूबर फेस्ट के समय इनकी काफी धूम होती है.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया
संपादन: वी कुमार