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जर्मन इतिहास की काली रात, राइष्सक्रिस्टाल नाख्ट

९ नवम्बर २०११

9 नवंबर 1938 जर्मन इतिहास की एक ऐसी रात जिसके बाद शांति का सूरज निकलने में कई दशक निकल गए. यही वह रात थी जब नाजी शासन ने सुनियोजित तरीके से यहूदियों के खिलाफ हिंसा शुरू की.

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तस्वीर: AP

9 नवंबर 1938 को पहली बार तानाशाह एडॉल्फ हिटलर के काले इरादे सामने आए. इसी रात नाजी सरकार ने जर्मनी में यहूदियों की करीब साढ़े सात हजार दुकानों, उनके प्रार्थना स्थलों को ध्वस्त कर दिया. यहां तक कि उनकी कब्रगाह भी नहीं छोड़ीं. घरों तक पर हमले किए.

इस सब में कितने लोग मारे गए यह तो पता नहीं लेकिन नाजी शासन के आंकड़े बताते हैं कि उसी रात सिर्फ 91 यहूदियों को मारा गया. लेकिन इतिहासकार कहते हैं कि उस रात 1,300 यहूदियों की हत्या की गई.

उस समय जर्मनी के प्रचार मंत्री योसेफ गोएबेल्स ने इसे लोगों के गुस्से की अचानक उठी लहर बताया. लेकिन यह नाजी शासन का सुनियोजित हमला था. इसमें लोगों ने सक्रिय तौर पर हिस्सा तो नहीं लिया लेकिन हमलों के दौरान यहूदियों की बहुत ज्यादा मदद भी किसी ने नहीं की.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

तत्कालीन सरकार का कहना था कि 7 नवंबर 1938 को पेरिस में एक जर्मन राजनयिक पर हुए आतंकी हमले के विरोध और गुस्से के तौर पर लोगों ने 8 नवंबर को तोड़ फोड़ की. यह हमला करने वाला 17 साल का एक यहूदी युवक हेर्षल ग्रिंसपान था.

इस रात को यहूदियों के सुनियोजित खात्मे के शुरुआत की पहली रात माना जाता है. तीस के दशक के अंत से 1945 यानी दूसरे विश्व युद्ध के अंत तक हुए होलोकॉस्ट में करीब 60 लाख यहूदियों की हत्या की गई. 9 नवंबर की रात को होलोकॉस्ट की ड्रेस रिहर्सल भी कहा जाता है.

भारी हिंसा और लूट की इस रात में बिखरे कांच और मलबे के कारण नाइट ऑफ ब्रोकन ग्लास या राइष्सक्रिस्टाल नाख्ट कहा जाता है. वैसे तो यहूदियों के खिलाफ हमले 7 नवंबर को शुरू हुए और 14 नवंबर तक जारी रहे लेकिन 9 से 10 की रात सबसे भयावह थी. जिस कारण इतिहास के सबसे काले पन्ने खुले.

रिपोर्टः आभा मोंढे

संपादनः प्रिया एसेलबॉर्न

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