तनाव के बीच पाकिस्तानी सेना कमांडरों की बैठक
१२ जनवरी २०१२सेना के प्रवक्ता मेजर मुहम्मद अली दियाल ने यह बताने से इंकार कर दिया कि सेना मुख्यालय में हुई बैठक का मुद्दा क्या था. लेकिन बैठक के बाद देश में राजनीतिक और कानूनी संकट में सेना के रुख पर अटकलें लगने लगी हैं. अधिकांश विश्लेषकों का कहना है कि जनरल अशफाक परवेज कयानी सत्ता के भूखे नहीं हैं, लेकिन पाकिस्तान का सैनिक नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट द्वारा संवैधानिक साधनों से सरकार को बर्खास्त किए जाने का समर्थन करेगा.
बुधवार को प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने सेना प्रमुख के करीबी कहे जाने वाले रक्षा सचिव नईम खालिद लोधी को बर्खास्त कर दिया और सेना ने प्रधानमंत्री को हाल में सेना और आईएसआई की आलोचना करने के लिए गंभीर नतीजों की चेतावनी दी. रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल लोधी पर मेमोगेट मामले में सरकारी संस्थानों के बीच गलतफहमी पैदा करने का आरोप लगाया गया है.
मेमोगेट घपला
पाकिस्तानी मूल के बिसनेसमैन मंजूर एजाज के एक खुलासे के बाद मेमोगेट स्कैंडल सामने आया. एजाज ने कहा था कि एक पाकिस्तानी राजनयिक ने उनसे अमेरिका सरकार को एक मेमो देने को कहा था जिसमें पाकिस्तान में अमेरिकी फौजियों द्वारा एक कार्रवाई में अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मारे जाने के बाद सेना द्वारा तख्तापलट की कोशिश होने पर अमेरिकी मदद मांगी गई थी. एजाज ने उस राजनयिक की पहचान राजदूत हुसैन हक्कानी के रूप में की जिन्हें बाद में इस्तीफा देना पड़ा. तब से पीपल्स पार्टी की सरकार और सेना के बीच तनाव है.
राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ समझा जाने वाला सुप्रीम कोर्ट मेमोगेट मामले की जांच कर रहा है. इसके अलावा वह राष्ट्रपति के खिलाफ पुराने भ्रष्टाचार के मामलों में भी सरकार पर दबाव बनाए हुए है. दोनों मामलों का इस्तेमाल निर्वाचित सरकार को हटाने के लिए किया जा सकता है.
जनरल कयानी और जनरल डेम्पसी की बातचीत
उधर अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रेस सेक्रेटरी जॉर्ज लिट्ल ने बताया है कि अमेरिका सेना प्रमुख जनरल मार्टिन डेम्पसी ने जनरल कयानी से बातचीत की है. उन्होंने कहा, "मेरी समझ है कि चेयरमैन डेम्पसी जनरल कयानी के सम्पर्क में हैं. यह एक उत्पादक और पेशेवर बातचीत थी. मैं विस्तार में नहीं जाऊंगा लेकिन यह बातचीत टेलिफोन पर हुई है." इसके पहले पेंटागन के प्रवक्ता नेवी कैप्टेन जॉन किरबी ने कहा था कि अमेरिका ने पाकिस्तानी सेना से तख्तापलट पर न तो कोई आश्वासन मांगा है और न ही उनसे कोई आश्वासन मिला है.
पाकिस्तानी सेना ने देश के छह दशक के अस्तित्व के बड़े हिस्से में शासन किया है. वह अभी भी अपने को पाकिस्तान के हितों का वैध रखवाला समझता है. अब तक पाकिस्तान में किसी निर्वाचित सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है. पीपल्स पार्टी की सरकार 2008 में हुए चुनाव के बाद सत्ता में आई थी. उसी साल सैनिक राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ की जगह पर आसिफ अली जरदारी देश के राष्ट्रपति बने. भ्रष्टाचार के आरोप झेल रही पीपल्स पार्टी की सरकार अपना कार्यकाल पूरा करना चाहती है. आम चुनाव अगले साल होने वाले हैं, लेकिन इस बात की संभावना बढ़ती जा रही है कि इसी साल मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं. इस समय निर्वासन में रह रहे भूतपूर्व सैनिक शासक मुशर्रफ ने इसी महीने देश वापस लौटने की घोषणा की है.
रिपोर्ट: एपी, पीटीआई/महेश झा
संपादन: आभा एम