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तहव्वुर राना मामलाः कब क्या हुआ

१० जून २०११

26/11 वाले मुंबई हमलों के सिलसिले में तहव्वुर राना की गिरफ्तारी करीब डेढ़ साल पहले की गई. लेकिन अदालती कार्रवाई अभी हफ्ते भर पहले ही शुरू हुई और राना को मुंबई हमलों के आरोपों से बरी कर दिया गया. देखते हैं कब क्या हुआ.

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तस्वीर: fotolia/junial enterprises

18 अक्तूबर 2009: अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई ने शिकागो में रहने वाले 48 साल के तहव्वुर राना को डेविड हेडली के साथ मिलीभगत रखने के आरोप में गिरफ्तार किया.

27 अक्तूबर 2009: एफबीआई ने शिकागो की अदालत में हलफनामा दाखिल कर कहा कि राना और हेडली पाकिस्तान स्थित लश्कर ए तैयबा के साथ मिल कर भारत और डेनमार्क के अखबार के खिलाफ आतंकवादी हमले की साजिश रच रहे थे.

30 नवंबर 2009: राना ने मुंबई के 26/11 वाले हमलों में किसी भी तरह का हाथ होने से साफ इनकार कर दिया.

26 जनवरी 2010: राना ने उन आरोपों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि उसने मुंबई हमलों की साजिश रची या फिर डेनमार्क के अखबार के खिलाफ हमले की तैयारी में उसका कोई हाथ था.

09 फरवरी 2010: राना ने शिकागो की अदालत से कांफ्रेंस के लिए वक्त मांगा ताकि अदालती कार्रवाई निष्पक्ष तरीके से हो सके.

11 मार्च 2010: शिकागो की अदालत ने राना के जमानती अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक पर बेहद संगीन आरोप लगे हैं और इसके बाद उसके भाग जाने का खतरा बना हुआ है.

30 मार्च 2010: राना के वकील ने बताया कि उनका मुवक्किल अपना बयान नहीं बदलेगा और इस बात पर कायम रहेगा कि हमलों में उसका कोई हाथ नहीं है.

28 अप्रैल 2010: अमेरिकी अभियोजन पक्ष ने राना की उस मांग को खारिज कर दिया, जब उसने अपने केस की पैरवी के लिए और सबूतों और दस्तावेजों की मांग की. उससे कहा गया कि उसे पहले ही करीब 20,000 दस्तावेज मुहैया कराए जा चुके हैं.

13 दिसंबर 2010: राना के मामले की सुनवाई को टाल दिया गया और इसे अगले साल फरवरी के लिए निर्धारित किया गया.

07 जनवरी 2011: बचाव पक्ष की मांग को ध्यान में रखते हुए 14 फरवरी को होने वाली सुनवाई 16 मई तक के लिए टाल दी गई.

11 जनवरी 2011: आतंकवादियों के खतरे को ध्यान में रखते हुए अमेरिकी अधिकारियों ने फैसला किया कि राना के मामले पर फैसला सुनाने वाले जज का नाम नहीं बताया जाएगा.

16 मई 2011: शिकागो की डिर्कसन फेडरल कोर्टहाउस में राना के मामले की सुनवाई शुरू हुई.

23 मई 2011: अदालत में राना पर आरोप लगाया गया कि उसने अपने पुराने दोस्त डेविड हेडली के साथ मिल कर मुंबई हमलों की साजिश रची.

24 मई 2011: मुंबई हमलों के प्रमुख आरोपी डेविड हेडली ने अदालत में कहा कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के मेजर इकबाल और लश्कर ए तैयबा के हाफिज सईद जैसे लोगों ने उसे 26/11 की तैयारी में मदद की.

07 जून 2011: राना के खिलाफ अदालती कार्रवाई पूरी हुई लेकिन इस दौरान राना ने खुद गवाही नहीं दी.

07 जून 2011: अभियोजन पक्ष ने अदालत में एक वीडियो पेश किया, जिसमें राना यह कहते हुए दिख रहा है कि आतंकवादी जब भारतीय सीमा में घुसने वाले होते हैं तो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई उन्हें हथियार देती है.

10 जून 2011: शिकागो की अदालत ने तहव्वुर राना को मुंबई के आतंकवादी हमलों से बरी कर दिया लेकिन उसे लश्कर की मदद करने और डेनमार्क के अखबार पर हमले की साजिश रचने में दोषी पाया.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः आभा एम

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