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दंगों में 50 हजार बोडो लोग बेघर

२४ जुलाई २०१२

कई घरों को आग के हवाले कर दिया गया. करीब दो दर्जन लोगों की जान चली गई. हजारों लोग बेघर हो चुके हैं. जमीन पर मालिकाना हक लेकर शुरू हुए दंगे ने भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में जन-जीवन बेहाल कर दिया है.

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तस्वीर: Reuters

असम पुलिस के मुताबिक पिछले दिनों हुए दंगों ने करीब 50 हजार लोगों को घर छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया है. ये लोग पुलिस की देखरेख में अस्थायी शिविरों में जीवन बिता रहे हैं. वहीं पर इन्हें सरकार की ओर से खाना दिया जा रहा है. दंगाइयों ने दर्जनों घरों को आग के हवाले कर दिया है. असम पुलिस के प्रमुख जेएन चौधरी के मुताबिक दंगे के बाद अब तक 21 लोगों के शव बरामद किए गए हैं.

मंगलवार को भी यहां उपद्रव हुआ है. इलाके से गुजरने वाली राजधानी एक्सप्रेस समेत कई दूसरी ट्रेनों को निशाना बनाया गया है. इस वजह से पूरे पूर्वोत्तर भारत की रेल सेवा पर असर पड़ा है. अज्ञात लोगों ने गुवाहाटी जा रही राजधानी एक्सप्रेस पर कोकराझार के गोसाईंगांव में पथराव किया. रेलवे की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक किसी के जख्मी होने की खबर नहीं है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई से बात कर हालात का जायजा लिया और हिंसा रोकने के लिए हर संभव उपाय तुरंत करने का निर्देश दिया है.

हिंसा का केन्द्र असम का पश्चिमी जिला कोकराझार है. यहां पर स्थानीय बोडो समुदाय और मुस्लिम समुदाय के बीच जमीन पर मालिकाना हक को लेकर झड़पें हो रही हैं. स्थानीय पुलिस अधिकारी एसएन सिंह ने बताया कि इलाके में 5000 सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है और दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए हैं. हिंसा की लहर धुबरी और चिरांग जिले तक पहुंच चुकी है. एहतियात के तौर पर प्रशासन ने राज्य के दूसरे हिस्सों में भी पुलिस बल को तैनात कर दिया है. कई इलाकों में कर्फ्यू भी लगाया गया है. हिंसा में बोडो जनजाति के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है.

मजदूरी कर जीवन बिताने वाले हबीबुर रहमान का कहना है, "उन लोगों ने हमारे घरों को आग के हवाले कर दिया है. पता नहीं हम वापस कैसे लौटेंगे." समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक हिंसा की शुरुआत उस वक्त हुई, जब मुस्लिम समुदाय के दो विद्यार्थी नेताओं की हत्या कर दी गई. हत्या उस इलाके में की गई, जहां बोडो जनजाति की जनसंख्या अधिक है. इसके बाद से ही बोडो लोगों के खिलाफ दंगा भड़क उठा. बोडोलैंड टेरीटोरियल काउंसिल के प्रमुख कामपा बोर्गोयरे का कहना है, "हम लोगों से शांति की अपील कर रहे हैं. अधिकारियों से हमने कहा है कि वो लोगों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम करें." भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में 200 जनजातियां रहती हैं और उनके बीच आपसी संघर्ष का इतिहास काफी पुराना है. आजादी के बाद से ही इन राज्यों में कई अलगाववादी संघर्ष शुरू हो गए थे. भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की सीमा चीन, म्यांमार, बांग्लादेश और भूटान से मिलती है.

वीडी/एनआर (एपी,पीटीआई,एफपी)

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