नया कंप्यूटर गेम, ग्लोबल वॉर्मिंग से मुकालबा
१६ नवम्बर २०१०सामाजिक चेतना वाला रणनीतिक खेल कहे जा रहे इस गेम का नाम है फेट ऑफ द वर्ल्ड और इसमें खिलाड़ियों को बढ़ती आबादी के लिए बिजली, खाना और रिहाइश की मांग पूरा करते हुए जलवायु और संसाधनों को बचाने की कोशिश करनी होती है. फेट ऑफ द वर्ल्ड परिदृश्य आधारित गेम है जिसमें दुनिया को 200 साल तक चलाना होता है और इन दो सौ सालों में खिलाड़ी या तो उसे बचा लेता है या नष्ट कर देता है. यह कहना है गेम के आविष्कारक ब्रिटेन के गोबियोन रोलैंड्स का.
खिलाड़ी ग्लोबल पर्यावरण संगठन के प्रमुख के रूप में खेल में हिस्सा लेता है. वह अमाजोन में रहने पर प्रतिबंध लगा सकता है या यूरोप में सिर्फ बिजली से चलने वाले पब्लिक ट्रांसपोर्ट को अनुमति दे सकता है या एशिया में एक बच्चे वाली नीतियां लागू कर सकता है.
लेकिन हर फैसले का विपरीत नतीजा भी होता है. मसलन यदि संसाधनों को बचाने के लिए जन्म दर कम करने का फैसला लिया जाता है तो उसके कारण काम करने वालों की संख्या में कमी की समस्या से भी जूझना पड़ सकता है. फिर लोगों को 80 साल की उम्र तक काम करना होगा जिसकी वजह से दंगे भड़क सकते हैं.
खेल में हिस्सा लेने वाले लोग अपने फैसलों का सकारात्मक नतीजा देखते हैं. ओरुंगतान को विलुप्त होने से बचाया जाता है. दुनिया का तापमान एक डिग्री कम हो जाता है. लेकिन गलत फैसले यूरोप को बाढ़ में डुबो सकते हैं, अफ्रीका को युद्ध की विभीषिका में झोंक सकते हैं.
वीडियो गेम्स बनाने वाली ऑक्सफोर्ड की कंपनी रेड रिडम्प्सन के प्रमुख 35 वर्षीय रोलैंड्स कहते हैं, "यदि वे दुनिया को नष्ट करने का फैसला भी करें, तो मुद्दों के बारे में बहुत कुछ सीखते हैं." गेम नासा, संयुक्त राष्ट्र और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक, आर्थिक और आबादी संबंधी आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया है. फेट ऑफ द वर्ल्ड का विकास ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के पर्यावरण विशेषज्ञ डा. माइल्स एलन के नेतृत्व में काम करने वाले शोधकर्ताओं के सहयोग से किया गया है.
गेम का एक टेस्ट वर्जन डाउनलोड के लिए उपलब्ध है. गेम औपचारिक रूप से फरवरी में बाजार में आएगा और तब उसकी कीमत 20 पाउंड होगी. गेम का जर्मन, फ्रेंच और स्पैनिश वर्जन मार्च में बाजार में आएगा.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ए कुमार