पाकिस्तान में औरतों पर हमलों के लिए कड़ी सजा
१४ दिसम्बर २०११अजीम माई के पति ने पिछले साल उनके चेहरे पर इसलिए तेजाब डाल दिया क्योंकि उन्होंने अपने दो बेटों को दुबई में एक व्यक्ति को बेचे जाने से मना कर दिया था. बेटों को ऊंट दौड़ाने वाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता. पांच बच्चों की 35 वर्षीया मां को अब कोई काम नहीं देता क्योंकि लोगों को उसका जला चेहरा डरावना लगता है.
पाकिस्तान में औरतों पर तेजाब फेंकना महिलाओं के खिलाफ सबसे बर्बर अपराधों में से एक है, जिसे अब संसद द्वारा पास किए जाने वाले कानूनों में अपराध बनाया जा रहा है. कानून महिला असमानता के अतीत वाले मुस्लिम देश पाकिस्तान में औरतों को आम हमले से बचाएगा.
महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने नए कानून का स्वागत किया है लेकिन साथ ही कहा है कि उसे बनाना इस दिशा में सिर्फ पहला कदम है. उनका कहना है कि पाकिस्तान की भ्रष्ट और अक्षम कानूनी व्यवस्था से महिला अधिकारों की रक्षा करवाना ज्यादा मुश्किल होगा. पुरुष प्रधान समाज में बहुत से मर्द इसका विरोध करते हैं.
कानून बनाने के लिए लंबे समय तक संघर्ष करने वाले औरत फाउंडेशन की नय्यर शबाना कियानी कहती हैं, "यह पाकिस्तान की महिलाओं, सिविल सोसायटी और तीस साल से महिला समंर्थक कानून के लिए काम करने वाले संगठनों के लिए बड़ी उपलब्धि है." लेकिन साथ ही वह आगाह करती हैं कि जब तक नए कानून को निचले स्तर पर लागू नहीं किया जाता तब तक अच्छे नतीजे नहीं मिलेंगे.
नए कानून वाले दो बिलों को संसद ने सोमवार को मंजूरी दे दी. उनमें एसिड हमलों के लिए सजा बढ़ा दी गई है और कबायली झगड़ों को सुलझाने के लिए छोटी लड़कियों की शादी करने और जायदाद में महिलाओं की हिस्सेदारी को रोकने जैसी प्रथाओं को अपराध बना दिया गया है.
नए कानून में एसिड हमले का दोषी साबित होने पर 14 साल की न्यूनतम सजा और 11,200 डॉलर के न्यूनतम जुर्माने का प्रावधान है. दूसरे कानून के अनुसार किसी औरत की जबरदस्ती शादी करवाने के लिए तीन साल की कैद और औरत को पुश्तैनी जायदाद लेने से रोकने के लिए पांच साल कैद की सजा होगी.
इसके अलावा पवित्र कुरान से शादी के नाम से जानी जाने वाली प्रथा में तीन साल की कैद होगी. इस्लामाबाद के कायदे ए आजम विश्वविद्यालय में जेंडर स्टडीज विभाग की प्रमुख फरजाना बारी का कहना है कि देश के देहाती इलाकों में सामंती परिवारों में इस प्रथा का इस्तेमाल किया जाता है ताकि लड़कियों की शादी न हो और जायदाद परिवार के अंदर ही रहे. वे कहती हैं कि यह सब इतने सालों से किया जा रहा है कि लोग यह भी नहीं सोचते कि वे कुछ गलत कर रहे हैं.
लगभग 18 करोड़ आबादी वाले पाकिस्तान में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार आम बात है. वहां आबादी का बड़ा हिस्सा गरीब है, सिर्फ आधे वयस्क शिक्षित हैं और तालिबान जैसी उग्रपंथी विचारधाराओं के लिए समर्थन बढ़ रहा है. 2010 में एसिड हमले, जबरन शादी करवाने और महिलाओं पर दूसरे प्रकार की हिंसा के 8,000 मामले दर्ज किए गए. औरत फाउंडेशन का कहना है कि चूंकि ये आंकड़े मीडिया से लिए गए हैं, असल में इनकी संख्या बहुत ज्यादा हो सकती है.
पाकिस्तान में औरतों के साथ दूसरे प्रकार के भेदभाव भी होते हैं. 2011 में वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट में पाकिस्तान का स्थान नीचे से तीसरा था. उसके बाद सिर्फ चाड और यमन थे. इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मामलों में लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को प्रदर्शित किया जाता है.
अतीत में महिलाओं के अधिकार वाले बिलों को इस्लामी कट्टरपंथियों और कंजरवेटिव सांसदों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ता था, लेकिन इस बार संसद के दोनों सदनों सीनेट और नैशनल एसेंबली ने इसे एकमत से पास कर दिया है. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो जाने के बाद यह लागू हो जाएगा.
रिपोर्ट: एपी/महेश झा
संपादन: ओ सिंह