पाकिस्तानी मदरसे में जंजीरों से जकड़े छात्र
१३ दिसम्बर २०११अधिकारियों ने कराची के सोहराब गोथ इलाके में जकरिया मदरसे के दो मौलवियों को भी गिरफ्तार किया है. पुलिस अधिकारी मुख्तार खसखेली ने बताया है कि मदरसे का प्रमुख पकड़ में नहीं आया, वह भागने में कामयाब रहा. खसखेली ने कहा, "चेन में जकड़े लोगों में से कम से कम 18 लोग 20 की उम्र से कम के थे, जबकि दूसरे अधिक उम्र के थे."
पाकिस्तान में कुछ मदरसों पर आरोप है कि वे बच्चों को उग्रपंथी बनने का प्रशिक्षण देते हैं और हिंसक चरमपंथी दलों का समर्थन करते हैं. जबकि कुछ पड़ोसी देश अफगानिस्तान में अपने लड़ाके भेजते हैं. पुलिस अधिकारी ने बताया, "मदरसा अधिकारियों ने ने दावा किया है कि उन्होंने उन छात्रों को जंजीर से इसलिए बांधा कि उन्हें नशे की लत थी. वे उन्हें ठीक करना चाहते थे और अच्छा मुसलमान बनाना चाहते थे."
समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार पुलिस जांचकर्ता नदीम रऊफ ने कहा कि अभिभावकों ने उन्हें सुधारने के लिए मदरसे में भर्ती कराया था. मदरसा उनसे हर छात्र के लिए महीने में 5000 रुपये (लगभग 3000 भारतीय रुपये) लेता था. कुछ छात्रों ने पुलिस से कहा है कि उन्हें यातना दी गई है और उन्हें जिहाद के लिए तैयार किया जा रहा था. एक छात्र ने जियो टीवी को बताया, "हमें यहां तालिबान बनाया जा रहा था. वे कहते थे कि यहां ट्रेनिंग के बाद तुम्हें लड़ने के लिए भेजेंगे."
खसखेली ने कहा है कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है, जिसके दौरान उग्रपंथियों के साथ किसी भी प्रकार के संपर्क की भी जांच होगी. सिंध प्रांत के गृह विभाग के प्रवक्ता शफरुद्दीन मेमन ने भी कहा है, "चरमपंथी गतिविधियों में शामिल होने सहित सभी संभावना की जांच की जाएगी." मेमन ने कहा कि यह घटना में समाज में फैली बर्बरता को दिखाती है. "यह हमारे समाज के बर्बर पहलू को दिखाती है और हमारी पुलिस का प्रयास उस तत्व को समाप्त करने पर लक्षित है."
कराची के स्थानीय समा टीवी ने मदरसे और जंजीर से बंधे छात्रों की तस्वीरें दिखाई हैं. वे पुलिस द्वारा छुड़ाए जाने पर खुशी से नाच रहे थे. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार पाकिस्तान में कम से कम 15,148 मदरसे हैं जिनमें 20 लाख से अधिक बच्चे पढ़ते हैं. यह पाकिस्तान में औपचारिक शिक्षा पाने वाले लगभग साढ़े तीन करोड़ बच्चों का 5 प्रतिशत है. अधिकारियों को संदेह रहा है कि मदरसों में उग्रपंथी लड़ाकों की भर्ती की जाती है और उन्हें ट्रेनिंग के लिए अफगानिस्तान की सीमा पर कबायली इलाकों में भेजा जाता है.
रिपोर्ट: एएफपी, डीपीए/महेश झा
संपादन: ए जमाल