"पाकिस्तान विफल राष्ट्र होने के कगार पर"
१३ नवम्बर २०११इस बहस में रिपब्लिकन पार्टी का रुख पाकिस्तान को लेकर काफी रूखा नजर आया. एक उम्मीदवार ने कहा कि पाकिस्तान विफल राष्ट्र होने के कगार पर है, तो दूसरे ने कहा कि अमेरिका को पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद शून्य कर देनी चाहिए. बेशक, चुनावी बहस की इन बातों का नीति निर्धारण पर असर फिलहाल नहीं देखा जा सकता. और खासतौर पर पाकिस्तान जैसे देश के बारे में अमेरिका की सरकार को बहुत संभलकर फैसला लेना होता है क्योंकि एक तो वह परमाणु हथियार संपन्न देश है और फिर तालिबान के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका को उसकी जरूरत है.
अमेरिकी जन मानस में पाकिस्तान
रिपब्लिकन नेतृत्व के इस रुख को अगर मत और समर्थन बटोरने के तरीके के तौर पर देखा जाए तो ध्यान इस बात पर जाता है कि क्या अमेरिकी लोग पाकिस्तान को कोसने के नाम पर वोट देंगे.
मैसाचुसेट्स के पूर्व गवर्नर मिट रोमनी ने कहा कि पाकिस्तान में कई सत्ता केंद्र हैं जिनमें एक असैन्य नेतृत्व है जो कमजोर है. एक सत्ता केंद्र सेना और ताकतवर जासूसी एजेंसी आईएसआई है. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के साथ कामकाज करने का सही तरीका जानना है तो यह समझना होगा कि यह और देशों जैसा देश नहीं है. बाकी देशों में एक मजबूत राजनीतिक केंद्र है जहां आप जाकर कह सकते हैं कि जी क्या हम आ सकते हैं, क्या आप समस्या की ओर ध्यान देंगे. असल में पाकिस्तान तो विफल राष्ट्र होने के कगार पर है. उम्मीद है यह उस जगह तक नहीं पहुंचेगा, लेकिन हालात डांवाडोल हैं."
रोमनी रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवारों में सबसे मजबूत माने जा रहे हैं. कई सर्वेक्षणों में यह बात सामने आई है कि रोमनी ही अगले साल नवंबर में होने वाले चुनाव में ओबामा को हराने की काबिलियत रखते हैं. रिपब्लिकन पार्टी का उम्मीदवार अगले साल जनवरी में तय हो जाएगा. और अगर वह रोमनी होते हैं, तो पार्टी का पाकिस्तान के बारे में रुख समझा जा सकता है.
कोई संतुष्ट नहीं
टेक्सस के गवर्नर रिक पेरी भी पाकिस्तान को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान समेत हर देश को हर साल यह बताना चाहिए कि उसे अमेरिकी मदद का एक भी पैसा क्यों मिले. उन्होंने कहा, "उसके बाद हम इस देश में विचार करेंगे कि अमेरिकी कर दाताओं का पैसा उन देशों को क्यों दिया जाए."
जब पेरी से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान अमेरिका के साथ दोहरा खेल रहा है, तो उन्होंने जवाब दिया, "पाकिस्तान हमें साफ संकेत दे रहा है कि वे हमारी मदद के हकदार नहीं हैं, क्योंकि वे हमारे साथ ईमानदार नहीं हैं. अमेरिकी सैनिकों की जान उस देश के लिए खतरे में डाली जा रही है. और अब वक्त आ गया है कि एक देश के तौर पर हम उन देशों की मदद को ना कहें जो अमेरिका का साथ नहीं देते."
जब हरमन केन से पूछा गया कि पाकिस्तान दोस्त है या नहीं, तो वह कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए. उन्होंने कहा, "इस बात का साफ जवाब नहीं है कि पाकिस्तान दोस्त है या दुश्मन."
हाल के दिनों में पाकिस्तान के साथ अमेरिका के रिश्तों में तनाव बढ़ा है. अमेरिकी अधिकारी इस को लेकर नाराज हैं कि तालिबान और अन्य आतंकवादियों को पाकिस्तान में छिपने की जगह मिलती है, जहां से वे अमेरिकी सैनिकों पर हमले करते हैं. हाल ही में बीबीसी की एक डॉक्युमेंट्री में भी यह बात कही गई कि पाकिस्तान दोहरा खेल खेल रहा है. एक तरफ वह अमेरिका के साथ मिलकर तालिबान के खिलाफ लड़ने की बात कहता है, दूसरी तरफ तालिबान और अन्य आतंकवादी संगठन आईएसआई से मदद पाते हैं. पाकिस्तान इस आरोप से इनकार करता है. लेकिन ऐसी खबरों से अमेरिका में पाकिस्तान के प्रति समर्थन पर असर पड़ रहा है. कम से कम रिपब्लिकन उम्मीदवारों की बहस से तो यही संकेत मिलते हैं.
रिपोर्टः रॉयटर्स/वी कुमार
संपादनः एन रंजन