पाकिस्तान से निकाले जाएंगे लाखों अफगान
२९ जून २०१२अगर शरणार्थी पाकिस्तान से नहीं निकलते हैं तो उन्हें गिरफ्तार कर के अफगानिस्तान वापस भेज दिया जाएगा. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार पाकिस्तान में करीब 17 लाख अफगान शरणार्थी रहते हैं. पाकिस्तान का कहना है कि चार लाख शरणार्थी गैरकानूनी रूप से वहां रह रहे हैं. इनमें से अधिकतर पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी जिले खैबर पख्तूनख्वा में रहते हैं जो अफगान सीमा से सटा हुआ है. संयुक्त राष्ट्र का शरणार्थी राहत आयोग यूएनएचसीआर ने पाकिस्तान में अफगान शरणार्थियों की स्थिति को "दुनिया के सबसे बड़े और सबसे लम्बे शरणार्थी संकट" कहा है.
खैबर पख्तून्ख्वा के सूचना मंत्री मियां इफ्तिखार हुसैन के मुताबिक अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि 30 जून को समय सीमा खत्म होने के बाद वह कानून तोड़ने वालों को गिरफ्तार करें. इन लोगों की फौरन अदालत में पेश होना होगा ताकि इन्हें वापस भेजा जा सके. इफ्तिखार हुसैन ने कहा, "कोई भी देश गैरकानूनी शरणार्थियों को अपने क्षेत्र में रहने की अनुमति नहीं देता. हम किसी गैरकानूनी बात को सही तो नहीं ठहरा सकते. हम पिछले 32 सालों से अफगान शरणार्थियों को पनाह देते आ रहे हैं. स्थानीय सरकार अब उनका बोझ और नहीं उठा सकती. अब उन्हें अपने देश लौट जाना चाहिए."
अफगानिस्तान की मुश्किलें
अफगानिस्तान के लिए लाखों लोगों का देश में लौट जाना चिंता का विषय बना हुआ है. लाखों लोगों को रोजगार देना और उनके रहने और खाने पीने का इंतजाम करना अफगान सरकार के लिए आसान नहीं होगा. काबुल में सरकार अब भी दावा कर रही है कि पाकिस्तान लोगों को निष्कासित नहीं करेगा. अफगानिस्तान के शरणार्थी मामलों के मंत्री इस्लामुद्दीन जुरात ने इसे एक "छोटी सी समस्या" कहा है. उनका मानना है कि दोनों देशों के बीच बातचीत हो चुकी है. उन्होंने विशवास जताया है कि पाकिस्तान के साथ मामला सुलझ जाएगा और शरणार्थियों को पाकिस्तान में रहने की अनुमति दे दी जाएगी.
वहीं पाकिस्तान के इफ्तिखार हुसैन कहते हैं कि अफगान शरणार्थियों को वापस भेजना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि वे अक्सर आपराधिक मामलों से जुड़े होते हैं. हालांकि जानकार हुसैन की बात से इत्तिफाक नहीं रखते. अफगानिस्तान और तालिबान दोनों एक दूसरे पर आतंकवाद को बढ़ावा देने और आतंकवादियों को शरण देने का इल्जाम लगाते आ रहे हैं. इस बात की दलील देकर पाकिस्तान शरणार्थियों को निष्कासित करना चाहता है, हालांकि अफगान पाक सीमा पर कम निगरानी के कारण इस पर काबू पाना बेहद मुश्किल होगा. जानकारों का मानना है कि सीमा पार से शरणार्थियों के आने पर रोक लगाना पाकिस्तान के लिए मुमकिन नहीं होगा.
अपनी मर्जी से
इस से पहले दिसंबर 2010 और फरवरी 2011 में पाकिस्तान ने करीब 1,400 अफगान परिवारों को निष्कासित किया. पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर ने इसी महीने अफगानिस्तान के भविष्य पर आयोजित की गई एक बैठक में कहा कि पाकिस्तान चाहता है कि अफगान लोग खुद अपनी मर्जी से अपने देश लौट जाएं, "हमने शिकागो सम्मलेन में जाना कि अफगानिस्तान के हालात सुधर रहे हैं. अगर ऐसा है तो लोगों को अपने देश लौट जाना चाहिए."
वहीं शरणार्थियों के लिए काम कर रही अंतरराष्ट्रीय संस्था आईओएम का कहना है कि अफगानिस्तान के पास अभी इतनी क्षमता नहीं है कि वह लाखों लोगों का ख्याल रख सके. 2014 में नाटो सेनाएं अफगानिस्तान छोड़ देंगी. भारत में इसी सप्ताह अफगानिस्तान के भविष्य और मूलभूत सुविधाओं के सुधार के लिए वहां विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए सम्मलेन किया गया.
आईबी/एमजी (एएफपी)