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पीड़ितों का साथ कभी नहीं छोड़ेगा जापानः प्रधानमंत्री

१० अप्रैल २०११

हादसे के बाद दूसरी बार सूनामी प्रभावित इलाकों का दौरा करने आए प्रधानमंत्री नाओतो कान ने कहा है कि जापान सूनामी पीड़ितों का साथ कभी नहीं छोड़ेगा. परमाणु खतरे से जूझ रहे देश का ध्यान भविष्य की ओर मोड़ने की कोशिश की.

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तस्वीर: dapd

प्रधानमंत्री ने कहा कि जितनी जल्दी हो सके उन डेढ़ लाख लोगों के लिए घरों का इंतजाम किया जाएगा जो 11 मार्च को आई आपदा के बाद फिलहाल राहत शिविरों में रह रहे हैं. मछली शिकार के प्रमुख केंद्र इशिनोमाकी शहर का दौरा करने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि मछलियों को पकड़ने का काम जल्दी शुरू हो सके इसके लिए सरकार सभी संभव कदम उठाएगी. प्रधानमंत्री ने कहा, "सरकार अपनी पूरी ताकत लगाकर आपके साथ काम करेगी. आपका साथ हम कभी नहीं छोड़ेंगे."

Japan Atomkrise Naoto Kan
तस्वीर: AP

जापान के कई छोटे छोटे समुदाय ऐसे हैं जिनके लिए मछलियों का शिकार ही रोजगार का प्रमुख जरिया है. ऐसे लोगों पर कुदरत की दोहरी मार पड़ी है एक तरफ सूनामी ने इनका सब कुछ छीन लिया है दूसरी और फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से रेडियोधर्मी तत्वों का रिसाव मछलियों और पानी को विषैला बना रहा है.

रविवार को अधिकारियों ने बताया कि जल्दी ही सागर में रेडियोधर्मी कण युक्त पानी को उड़ेलने का काम बंद कर दिया जाएगा. इस पानी ने पड़ोस के चीन और दक्षिण कोरिया को भी चिंता में डाल दिया है. उन्हें रेडियोधर्मी कणों के अपने देश तक पहुंचने का डर सता रहा है. दक्षिण कोरिया के कुछ इलाकों में तो बारिश के दौरान इन रेडियोधर्मी कणों की कुछ मात्रा मिलने की भी पुष्टि हुई है. परमाणु संयंत्र का संचालन करने वाली कंपनी पिछले कई दिनों से हजारों टन प्रदूषित पानी सागर में उड़ेल रही है. रविवार को ऐसी खबरें भी आई हैं कि संयंत्र के पास पकड़ी गई एक मछली में सेइजियम की उच्च मात्रा पाई गई है. अधिकारियों ने गुरुवार को एक नमूने में 570 बेक्वेरल्स प्रति किलोग्राम का विकिरण पाया जो तय सीमा से काफी ज्यादा है. इससे पहले मछलियों में रेडियोधर्मी आयोडीन की मात्रा पाई गई लेकिन सेजियम की अर्धआयु आयोडीन की तुलना में काफी ज्यादा है.

प्रधानमंत्री नाओतो कान ने एक राहत शिविर का भी दौरा किया. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान के लिए सबसे बड़ा संकट कहे जा रहे इन आपदाओं में अब तक 13000 लोगों के मौत की पुष्टि हुई है जबकि 15000 लोगों का अब तक कुछ पता नहीं है. 22 हजार सैनिक दिन रात लोगों की तलाश मे दिन रात भटक रहे हैं. प्रधानमंत्री के साथ मौजूद सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि उनका दौरा इसलिए भी जरूरी है ताकी प्रशासन प्रभावित लोगों की जरूरत समझ सके.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः उभ

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