बदल गई है चीनी लड़कियों की दुनिया
२२ नवम्बर २०१०अगर आज चीन की बढ़ती आर्थिक स्थिति में किसी चीज़ ने सबसे बड़ा योगदान दिया है तो वह है महिलाओं की उन्नति और विश्व स्तर पर उनकी बदलती तस्वीर. चीन की सड़कों पर पश्चिमी वेशभूषा और फैशन में महिलाओं को देख कर लगता ही नहीं कि आप किसी एशियाई देश में हैं. दुनिया के किसी भी बड़े फैशन ब्रांड के कपड़ों में सुसज्जित और बालों के अनोखे स्टाइल में चीनी लडकियां किसी भी देश की महिलाओं को मात दे सकती हैं.
ग्वांगजो में चल रहे 16वें एशियन गेम्स की वजह से तो हालत और भी बेहतर हैं. बीजिंग और शंघाई के बाद चीन का तीसरा सबसे बड़ा शहर ग्वांगजो दुनिया के छोटे रूप की तरह दिखाई दे रहा है. उसमें एशियन होते हुए भी चीनी लड़कियां पश्चिमी लग रही हैं. वे न सिर्फ अपने पहनावे से बल्कि मानसिक रूप से भी दुनिया में टॉप पर आने के लिए तैयार हैं. गेम्स के मीडिया सेंटर की सुपरवाइजर 23 साल की हुन आंग जी का कहना है, "वह समय बीत गया जब चीनी समाज में नारी और पुरुष के बीच भेदभाव होता था. अब ऐसा कोई काम नहीं जो पुरुष कर सके और नारी न कर सके.''
हुन शिक्षा को इस परिवर्तन के लिए धन्यवाद देती हैं. वह बताती हैं, "अब चीन में माध्यमिक स्तर तक शिक्षा मुफ्त और अनिवार्य है तो ज़ाहिर है इसका असर पड़ेगा.'' युवा महिला शिक्षक जंग ली शिक्षा के साथ देर से शादी करने की आधुनिक प्रथा को भी अपने देश में महिलाओं की उन्नति का श्रेय देती हैं. वह कहती हैं, "अब हमारे देश में कानूनी तौर पर 22 वर्ष की उम्र से पहले लडकियां शादी नहीं कर सकतीं. और अधिकतर लड़कियां 26 से 28 वर्ष की उम्र में ही विवाह करती हैं. इस से कॉलेज के बाद उन्हें नौकरी ढूंढने और अपना भविष्य बनाने में मदद मिलती है.''
विवाह के बारे में अधिकतर चीनी लड़कियों का कहना है कि वे अपनी पसंद के लड़के से ही शादी करती हैं. अधिकतर लड़कियों के बॉयफ्रेंड हैं और वे शादी से पहले उनके साथ समय बिता कर ही शादी के लिए अपने आप को तैयार करती हैं. करीब 60% लड़कियां को शादी से पहले सेक्स से परहेज़ नहीं है लेकिन अगर किसी वजह से इसके बावजूद उनके बॉयफ्रेंड से उनको शादी की बात टूट जाए तो वे अपने माता पिता की पसंद के लड़के से शादी करने के लिए भी तैयार हो जाती हैं.
जहां तक परिवार का सवाल है तो यूं तो चीनी लड़कियां शादी के बाद अपने पति के साथ अलग घर लेकर रहना पसंद करती हैं लेकिन क्योंकि घर चलने के लिए दोनों को काम करना पड़ता है तो अपने सुसराल में मिश्रित परिवार में रहने के लिए भी वे तैयार हो जाती हैं. हूं अग जी कहती हैं, "इस से काम के बाद बना बनाया खाना मिल जाता है और बच्चे को स्कूल से लाने की फिक्र भी नहीं रहती.''
शायद आज कल चीनी लड़कियों के लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी है इंग्लिश भाषा का ज्ञान. इसीलिए सभी लड़कियां इंग्लिश को चीनी के बाद अपनी दूसरी भाषा के रूप में सीखती है. चीन की मोबाइल कंपनी में मैनेजर के रूप में काम कर रहीं लिंग ले कहती हैं कि इससे बैंक, एयरलाइंस और मोबाइल कम्पनियों में नौकरियां मिल जाती हैं. काफी लड़कियां आजकल नर्सिंग को भी पेशे के रूप में चुन रही हैं क्योंकि नर्स के रूप में विदेश में नौकरी का भी मौका मिलता है.
इंग्लिश सीखने के साथ साथ आजकल अधिकतर लड़कियां अपने चीनी नाम के इलावा एक अंग्रेजी नाम भी रखती हैं ताकि विदेशियों के साथ उनकी दोस्ती हो सके. मिचेल, पेगी, शेली, क्रिस्टीना आदि कुछ ऐसे नाम हैं जो बहुत ही प्रचलित हैं. अमेरिका, इंग्लैंड और अन्य पश्चिमी देशों के साथ कदम से कदम मिला कर चलने की होड़ में बहुत सी ऐसी चीनी महिलाएं हैं जो खुल कर न भी सही लेकिन छिपे तौर पर भागवान में विश्वास रखने लगी है. कई चीनी लड़कियों ने यह माना लेकिन बिना अपना नाम बताए. उनका कहना है कि उन्हें इजाज़त नहीं है धर्म को मानने की लेकिन चुपके चुपके प्रार्थना भी करती हैं और अगर मौका मिल जाए तो चर्च भी जाती हैं.
चीन की दृष्टि से यह समाज में एक बहुत बड़ा बदलाव है लेकिन जिस रफ़्तार से चीनी समाज बदल रहा है उससे लगता है कि जल्दी ही धर्म के अनुयायी बढ़ जाएंगे और शायद कुछ समय बाद सरकार भी इसकी इजाजत दे ही दे.
रिपोर्टः चीन से नौरिस प्रीतम
संपादनः वी कुमार