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बाइचुंग भूटिया ने की संन्यास की घोषणा

२४ अगस्त २०११

भारत के फुटबॉल स्टार बाइचुंग भूटिया ने 16 साल तक राष्ट्रीय टीम में रहने के बाद अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है. वह कई महीनों से चोट की समस्याएं झेल रहे थे.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

दिसंबर में 35 साल के होने वाले भूटिया ने कहा है कि जनवरी में कतर में हुए एशिया कप में भारत के अधिकांश मैचों में शामिल न हो सकने के बाद पूरी तरह से स्वस्थ होने में विफलता की वजह से वह अपना 16 साल पुराना करियर समाप्त कर रहे हैं. नई दिल्ली में पत्रकारों से भूटिया ने कहा, "इन परिस्थितियों में यह सर्वोत्तम फैसला था."

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तस्वीर: AP

15 दिसंबर 1976 को तिंकिताम में जन्मे भूटिया का सक्रिय खेल जीवन 1986 में शुरू हुआ जब उन्होंने ताशी नामग्याल एकेडमी के लिए खेलना शुरू किया. 16 साल की उम्र में वे सिक्किम से बाहर निकल गए और कोलकाता में ईस्ट बंगाल क्लब के लिए खेलना शुरू किया. वहां भूटिया 1993 से 1995 तक खेले.

उसके बाद वह फगवाड़ा के जेसीटी मिल्स क्लब के लिए खेलने लगे और 1996-97 में राष्ट्रीय चैंपियनशिप और सबसे ज्यादा गोल करने का खिताब जीता.1997 में वह फिर से ईस्ट बंगाल वापस लौट गए जहां वह और दो साल तक रहे. 1997 से 99 तक थर्ड लीग के बरी क्लब के साथ खेलने के बाद वह फिर से भारत लौट गए. बरी के साथ तीन साल में उन्होंने सिर्फ 37 मैच खेले और तीन गोल बनाए. इंगलैंड से वापस लौट कर भूटिया पहले एक साल मोहन बागान में खेले और फिर 2006 तक ईस्ट बंगाल में.

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तस्वीर: picture-alliance/ dpa

गोल करने वाले सबसे युवा खिलाड़ी

भारत की राष्ट्रीय टीम में बाइचुंग भूटिया ने 1995 में खेलना शुरू किया और नेहरू कप में उज्बेकिस्तान के साथ गोल करने के बाद 19 वर्ष की उम्र में गोल करने वाले सबसे युवा भारतीय खिलाड़ी बने. 3009 में किरगिस्तान के खिलाफ नेहरू कप का मैच राष्ट्रीय टीम के लिए उनका 100वां मैच था. 2008 में उन्होंने राष्ट्रीय टीम के साथ एएफसी चैलेंज कप जीता और टूर्नामेंट के सर्वोत्तम खिलाड़ी बने. राष्ट्रीय टीम के लिए उन्होंने 102 बार खेला है और 43 गोल किए हैं.

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में उन्होंने कमबैक की कई कोशिशें की हैं लेकिन बार बार घायल हो जाने के कारण उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली. लेकिन उन्होंने साथ ही कहा, "मैं क्लब फुटबॉल खेलना जारी रखूंगा." भारत के पूर्वोत्तर प्रांत सिक्किम से आने वाले बाइचुंग भूटिया की यूनाइटेड सिक्किम फुटबॉल क्लब में हिस्सेदारी है और वे भारत की घरेलू लीग में इस टीम के लिए खेलते भी हैं.

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तस्वीर: AP

भूटिया पहले भारतीय खिलाड़ी हैं जिसे अत्यंत प्रतिस्पर्धी यूरोप में पेशेवर फुटबॉल खेलने का मौका मिला. 1999 में उन्हें इंग्लिश क्लब बरी ने तीन साल के लिए साइन किया था. उन्हें भारत में भी कई सम्मान मिले हैं. देश के दूसरे सर्वोच्च खेल पुरस्कार अर्जुन पुरस्कार के अलावा उन्हें देश का चौथा सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री भी मिला है.

विदेशी लीग में खेलने वाले पहले भारतीय

बाइचुंग भूटिया ने अपने चमत्कारी खेल और अंतरराष्ट्रीय स्टार होने की हैसियत का उपयोग क्रिकेट के लिए पागल भारत में फुटबॉल को लोकप्रिय बनाने के लिए भी किया है. उनके सक्रिय प्रयासों से फुटबॉल अगली पांत में आया. इसका लाभ उन्हें भी मिला और उन्हें एडिडास और नाइकी जैसी प्रमुख कंपनियों का इंडोर्समेंट कॉन्ट्रैक्ट मिला.

राष्ट्रीय टीम से विदाई के मौके पर भूटिया ने कहा कि उन्हें इस बात का क्षोभ है कि भारत विशाल आबादी होने के बावजूद फीफा की रैंकिंग में अत्यंत नीचे 153वें स्थान पर है. उन्होंने कहा कि वह खेल प्रशासन में योगदान देने को तैयार हैं. उनके शब्दों में, "भारतीय फुटबॉल के लिए मेरी प्रतिबद्धता और योगदान में कमी नहीं आएगी. मैं ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन को जिस तरह से वे चाहें, मदद करने के लिए तैयार हूं."

बाइचुंग भूटिया पक्के नास्तिक हैं. उन्होंने 27 दिसंबर 2004 को अपनी मित्र माधुरी टिपनिस से सिक्किम में शादी की. 2008 में वह तब सुर्खियों में आ गए जब उन्होंने तिब्बत के स्वतंत्रता आंदोलन के साथ सहानुभूति के चलते बीजिंग ओलंपिक की मशाल ले जाने से इनकार कर दिया.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: वी कुमार

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