बिन हम्माम पर लगी पाबंदी हटी
१९ जुलाई २०१२हम्माम की अपील सफल होने के बावजूद खेल अदालत सीएएस बिन हम्माम को बेकसूर नहीं घोषित कर रही. उसने यह भी कहा है कि इस मामले में फीफा की तहकीकात अधूरी है. सीएएस ने बिन हम्माम की अर्जी को स्वीकार तो कर लिया है और उन पर से आजीवन प्रतिबंध हटा दिया है लेकिन इसी हफ्ते एशियाई फेडरेशन ने उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के सिलसिले में एक मामला शुरू किया. इसकी वजह से बिन हम्माम को और 30 दिनों के लिए फीफा से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होने से रोका जा रहा है.
सीएएस के मुताबिक तीन लोगों के पैनेल ने बिन हम्माम के पक्ष में वोट दिया लेकिन उन्होंने इस बात को दोहराया कि बिन हम्माम ने बहुत ही "नैतिक तरीके" से काम नहीं किया. पैनल ने साफ किया है कि सीएएस के नियम कायदों के मुताबिक वह बिन हम्माम को बेकसूर घोषित नहीं कर रही है. यह ऐसा मामला है जिसमें आरोप साबित नहीं हुए हैं और फीफा की तहकीकात पूरी नहीं थी या इस जांच में सारे सवालों का जवाब देने के लिए काफी नहीं थी. हालांकि खेल अदालत के मुताबिक फीफा नैतिकता समिति में बदलाव ला रहा है और अगर बिन हम्माम के मामले में नए सबूत मिलते हैं तो मामले की दोबारा जांच हो सकेगी.
सीएएस ने कहा कि बिन हम्माम के जरिए ट्रिनिडैड और टोबेगो में पैसे लाए गए और वहां के फुटबॉल अधिकारियों को घूस देने की कोशिश की गई. अदालत ने यह भी कहा है कि यह काम बिन हम्माम ने पूर्व फीफा उप प्रमुख जैक वॉर्नर के साथ मिल कर किया है. धांधली के आरोपों के बाद वॉर्नर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
2002 में बिन हम्माम को एशियाई फुटबॉल संघ का प्रमुख चुना गया, जिसके बाद पिछले साल उन्होंने फीफा की अध्यक्षता के लिए चुनाव लड़ने का फैसला लिया. लेकिन चुनाव प्रक्रिया के दौरान ही उन पर कैरिबियाई अधिकारियों से वोट खरीदने की कोशिशों के आरोप लगे, जिसके बाद उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया. बिन हम्माम के बारे में कहा गया कि उन्होंने कैरिबियाई अफसरों को लिफाफों में 40,000 डॉलर दिए. इसके बाद जेप ब्लाटर लगातार चौथी बार फीफा प्रमुख चुने गए. बिन हम्माम को खेल संस्था से पूरी जिंदगी के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया. फीफा में उन्होंने इस फैसले के खिलाफ अपील भी की, लेकिन यह खारिज कर दिया गया.
बिन हम्माम पर से प्रतिबंध हटाने का फैसला फीफा के लिए एक बड़ी परेशानी हो सकती है. पिछले दिनों फीफा पर भ्रष्टाचार को लेकर कई आरोप लगे हैं. पिछले हफ्ते यह बात सामने आई कि फीफा के पूर्व प्रमुख जोआओ हावेलांज और फीफा के कार्यकारी समिति के सदस्य रहे रिकार्डो तेक्सेरा ने 1980 की दशक में फीफा समझौतों के लिए करोड़ों डॉलर लिए. फीफा ने इस हफ्ते एलान किया है कि जर्मनी और अमेरिका से उसने अपनी नैतिक समिति के लिए दो लोग चुने हैं जिन्होंने भ्रष्टाचार रोकने के क्षेत्र में काम किया है. यह समिति 25 जुलाई से काम करना शुरू करेगी और रिपोर्टों और सबूतों को देखते हुए फैसला लिया जाएगा कि बिन हम्माम के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई ली जाएगी.
एमजी/एमजे(एएफपी, रॉयटर्स)