बेरोजगार खिलाड़ियों की उम्मीद है वीडीवी
६ अगस्त २०११असोसिएशन ऑफ कॉन्ट्रैक्ट फुटबॉल प्लेयर्स बेरोजगार खिलाड़ियों के लिए 2003 से एक सालाना कैंप चला रही है. हर साल जुलाई से सितंबर तक डुइसबुर्ग का फर्डाउ स्पोर्ट्स स्कूल (वीडीवी) दर्जनों पूर्व खिलाड़ियों का बसेरा बन जाता है.
वहां खिलाड़ी दिन में दो बार और हफ्ते में चार दिन ट्रेनिंग करते हैं, इस उम्मीद के साथ कि वे कैंप से एक अच्छी फिजिकल ट्रेनिंग और नया कॉन्ट्रैक्ट लेकर जाएंगे. खिलाड़ियों की क्षमता दिखाने के लिए क्षेत्रीय क्लबों के साथ उनके मैच भी होते रहते हैं. इस दौरान क्लबों के ट्रेनर और मैनेजरों को बुलाया जाता है ताकि वे खिलाड़ियों को खुद जांच परख सकें.
इस नई व्यवस्था के कुछ बेहतरीन नतीजे सामने आए हैं. वीडीवी के मैनेजिंग डायरेक्टर उल्फ बारानोवस्की कहते हैं, "पिछले साल हमारे पास 100 से ज्यादा खिलाड़ियों ने रजिस्ट्रेशन कराया और 85 फीसदी खिलाड़ी कॉन्ट्रैक्ट लेकर लौटे."
पेशेवर खिलाड़ियों में बेरोजगारी कोई नई बात नहीं. अगर कोई खिलाड़ी एक मैच में घायल हो जाए तो भी उसका पूरा करियर खत्म हो सकता है. क्लबों का दीवालिया हो जाना और कॉन्ट्रैक्ट का खत्म हो जाना भी बेरोजगारी की वजह बनता है. ऐसे हालात में कम चर्चित खिलाड़ी तो फिर भी जगह बना लेते हैं. लेकिन असामोहा जैसे नामी खिलाड़ियों के लिए बड़ी मुश्किल होती है क्योंकि उनकी उम्मीदें बड़ी होती हैं.
सही दिशा में कदम
खिलाड़ियों का बेदर्दी से निकाला जाना और बेवजह ले लिया जाना इस पूरे व्यापार का हिस्सा है. लेकिन वीडीवी के मुख्य कोच क्रिस्टियान व्यूक कहते हैं कि उनके पास इस साल कैंप में कई अच्छे खिलाड़ी आए हैं. कुछ खिलाड़ी तो जर्मनी की चार प्रमुख लीग में प्रोफेशनल खिलाड़ी के तौर पर खेलने लायक भी हैं.
तीसरे और चौथे दर्जे की लीग में सस्ते लेकिन अच्छे खिलाड़ियों की काफी मांग रहती है. लेकिन कोच व्यूक की कोशिश रहती है कि खिलाड़ियों को उनकी काबिलियत के हिसाब से काम मिले. अगर खिलाड़ी दोस्ताना मैचों में बढ़िया प्रदर्शन करते हैं तो उनके पास सितंबर में भर्ती खिड़की बंद होने से पहले काम पा जाने का पूरा मौका रहता है.
ऐसी उम्मीदें सिर्फ कोच या मैनेजमेंट को नहीं, खिलाड़ियों को भी हैं. कोलोन के लिए खेल चुके 30 साल के रोलैंड बेनश्नाइडर कहते हैं, "हमें पूरा यकीन है कि हमें बहुत जल्द एक नौकरी की पेशकश की जाएगी."
पेशवरों के लिए, पेशेवरों के द्वारा
पेशेवर खिलाड़ी अच्छी तरह जानते हैं कि बेरोजगारी की मार कभी भी पड़ सकती है. यही वजह है कि क्रिस्टोफ मेत्सेल्डर, कार्स्टन रामेलोव, सिमोन रोल्फेस, सेबास्टियान केल, पेर मेरतेजाकर और गेराल्ड असामोहा जैसे बड़े बड़े खिलाड़ी भी वीडीवी की परियोजना में शामिल हैं. वे बेरोजगार और नौकरीशुदा, दोनों तरह के खिलाड़ियों की मदद करते हैं. इसीलिए सीईओ बारानोवस्की कहते हैं कि वीडीवी पेशेवरों का पेशेवरों के लिए चलाया जा रहा क्लब है.
वीडीवी सालाना कैंप के दौरान ही काम नहीं करता. उसके और भी कई तरह के काम हैं. मसलन वे नौजवानों के लिए 'रेडी फॉर वर्क' ट्रेनिंग भी चलाते हैं जिसमें बताया जाता है कि पेशेवर फुटबॉल में किस तरह के खतरे हैं और खिलाड़ियों को खेलने के साथ साथ किसी और पेशेवर ट्रेनिंग पर भी ध्यान देना चाहिए.
वीडीवी ने भविष्य के लिए भी योजनाएं बना रखी हैं. उल्फ बारानोवस्की को उम्मीद है कि प्रोफेशनल क्लबों के साथ खिलाड़ियों के कॉन्ट्रैक्ट में लेबर एग्रीमेंट की व्यवस्था शामिल की जा सकेगी. वह कहते हैं, "इससे फुटबॉल को कई फायदे होंगे. यह कानूनी सुरक्षा देगी और व्यवस्था को और ज्यादा स्थिर बनाएगी."
बेशक, जब आपका पसंदीदा काम सुरक्षा के साथ मिले, तो उसका मजा दोगुना हो जाता है.
रिपोर्टः बार्तकोवियाक यानिके/सीसीपी/वी कुमार
संपादनः एन रंजन