चुनौती देने भर के चैंपियन
५ अगस्त २०११यहां तक कि डॉर्टमुंड के कोच युर्गेन क्लॉप भी इस सीजन के लिए सबसे बड़ा दावेदार अपनी चैंपियन टीम को नहीं, बल्कि जर्मनी की सबसे सफल टीम बायर्न म्यूनिख को मान रहे हैं, "हम बुंडेसलीगा के पहले चैंपियन हैं, जो अपना खिताब बचाने के लिए नहीं, बल्कि चुनौती देने के लिए उतर रहे हैं." किसी भी तरह की उम्मीद के बारे में वह कुछ नहीं कहना चाहते हैं.
लाल जर्सी वाले बायर्न म्यूनिख की टीम में युप हैंकेस कोच के तौर पर लौट आए हैं और उन्होंने युवा गोलकीपर मानुअल नॉयर, राफिन्हा और बोतांग जैसे खिलाड़ियों को हासिल करने के लिए कोई साढ़े चार करोड़ यूरो खर्च कर दिए हैं. सबसे ज्यादा 22 बार बुंडेसलीगा खिताब जीतने वाले बायर्न को पिछले सीजन में तीसरे नंबर से ही संतोष करना पड़ा था और उसके पास डॉर्टमुंड से 10 अंक कम थे.
बार बार जीतो
1989 और 1990 में कोच के तौर पर बायर्न की टीम को खिताब जिताने वाले हैंकेस का कहना है, "आक्रमण करने से आपको जीत मिलती है, चैंपियनशिप बचती है." म्यूनिख की इच्छा 23वीं बार चैंपियन बनने की है और इसके लिए उसे बोरुसिया म्युन्चेनग्लाडबाख से पहला मैच रविवार को खेलना है.
टीम के कप्तान फिलिप लाम का कहना है, "हम चाहते हैं कि हम चैंपियनशिप जीतें और फिर राष्ट्रीय कप भी जीतें. साल दर साल बायर्न म्यूनिख का यही लक्ष्य होता है."
दूसरी तरफ पीली जर्सी वाले बोरुसिया डॉर्टमुंड को भी अपना जलवा दिखाना होगा, जिसके स्टार खिलाड़ी नूरी शाहीन को रियाल मैड्रिड ने उनसे छीन लिया है. डॉर्टमुंड को यूरोप के सबसे बड़े लीग मुकाबले चैंपियंस लीग में भी हिस्सा लेना है, जहां उसे न सिर्फ जर्मनी, बल्कि पूरे यूरोप की बड़ी टीमों से भिड़ना होगा और औसत खिलाड़ियों के साथ यह काम आसान नहीं होगा.
चैंपियंस लीग की चुनौती
म्यूनिख के खिलाड़ियों के लिए चैंपियंस लीग में ज्यादा आक्रामक और सफल होने की चुनौती होगी क्योंकि अगले सीजन का फाइनल म्यूनिख के स्टेडियम में ही खेला जाएगा. हालांकि उनके लिए पहले बुंडेसलीगा आता है, जहां उन्हें बड़े लेकिन चोटिल खिलाड़ियों से भी जूझना होगा. म्यूनिख को फ्रांस के फ्रांक रिबेरी और नीदरलैंड्स के आर्यन रोबेन के बगैर मैदान में उतरना पड़ सकता है. दोनों ही घायल हैं और उनका टीम में होना पक्का नहीं है.
दूसरी तरफ बायर लेवरकूजन के राष्ट्रीय गोलकीपर रेने आडलर भी चोटिल हैं, जो टीम के नए कोच भारतीय मूल के रॉबिन दत्त के लिए बड़ी मुश्किल साबित हो सकती है. दत्त ने पिछले साल ही हैंकेस को हटा कर कोच का स्थान लिया है. लेवरकूजन ने पिछले रविवार को ड्रेसडेन के खिलाफ मैच में 3-0 की लीड लेने के बाद मैच गंवा दिया है.
सितारों का अलविदा
पिछले सीजन में माएन्ज, हनोवर और नुरेमबर्ग ने चौंकाने वाले नतीजे दिए थे लेकिन इस सीजन में उनके स्टार खिलाड़ी अलविदा कह चुके हैं और उसने सामने फिर संकट आ खड़ा हुआ है. दूसरी तरफ हैम्बर्ग, शाल्के और वेर्डर ब्रेमन इस बार अंक तालिका में ऊपर चढ़ने की कोशिश करेंगे ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर के लीग मुकाबलों में खेल सकें. इसी तरह फेलिक्स मगाथ की वोल्फ्सबुर्ग भी, जो पिछले सीजन में बाहर होते होते बची है. हालांकि इसने 2009 का खिताब जीता है.
सीजन में बड़ी बात यह होगी कि शीर्ष की तीन टीमों को सीधे चैंपियंस लीग में प्रवेश मिल जाएगा और चौथी टीम की भी संभावना बन जाएगी. अगर वह क्वालीफाइंग मुकाबला जीत जाता है, तो जर्मनी की चार टीमें चैंपियंस लीग में खेल पाएंगी. पिछले सीजन तक यह आंकड़ा एक कम था. लेकिन यूएफा रैंकिंग में इटली को पछाड़ने के बाद जर्मनी को एक टीम का फायदा मिल गया है.
क्साल टू टीमें
बुंडेसलीगा में अभी से दूसरे दर्जे की कुछ टीमें दिख रही हैं, जिनमें कोलोन, म्यूनचेनग्लाडबाख, कैसरलॉटर्न, हॉफेनहाइम और फ्राइबुर्ग जैसी टीमें हैं. समझा जाता है कि ये टीमें ज्यादा ऊपर नहीं चढ़ पाएंगी. इस बार बवेरिया प्रांत की ऑग्सबुर्ग की टीम भी बुंडेसलीगा में दिखेगी, जो खिताब जीतने से ज्यादा अपनी जगह बचाए रखने के लिए मैच खेलेगी. इसके कोच जोस लुहुके का खुद का कहना है कि वह कोई करामात दिखाने की जगह इस बात की कोशिश करेंगे कि नीचे की तीन टीमों में शामिल न हों.
लेकिन बुंडेसलीगा में हर साल बहुत कुछ अनहोनी होती रहती है. कभी बड़ी टीमें बाहर हो जाती हैं, तो कभी डॉर्टमुंड जैसी टीम चैंपियनशिप जीत जाती है. मुकाबले का यही पक्ष इसे और भी मजेदार बनाता है और टिकटों की बिक्री बता रही है कि जर्मनी के लोग राष्ट्रीय लीग फुटबॉल के सुरूर में डूबने वाले हैं.
रिपोर्टः डीपीए/ए जमाल
संपादनः ए कुमार