भारत में कर चोरों की जांच के लिए खास पैनल
३० मई २०११समिति के प्रमुख सुधीर चंद्रा ने कहा कि समिति, "काले धन के स्रोतों को रोकने के लिए कानून कड़े करने पर विचार करेगी. विदेशों में इस धन के ट्रांसफर और इसे वापस देश लाने के तरीकों पर भी ध्यान दिया जाएगा." कर अधिकारी कानूनों में बदलाव लाने पर सोचेंगे और कानून तोड़ने वालों की सजा को और कड़ा करने की कोशिश की जाएगी. पैनल अपनी रिपोर्ट छह महीनों में सौंपेगा.
इस बीच वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वह काले धन के जमा होने पर एक शोध कर रहा है. माना जाता है कि भारत से चुराए गए 500 अरब डॉलर से लेकर 1.4 खरब डॉलर विदेशी बैंकों में रखे गए हैं. हालांकि मंत्रालय के मुताबिक यह केवल एक अनुमान है और इसे साबित नहीं किया जा सका है. "इसलिए सरकार ने कुछ संगठनों को आदेश दिए हैं कि वे देश के अंदर और विदेश में गैरकानूनी धन का सही अनुमान लगाएं."
अमेरिकी शोध संस्था ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी के मुताबिक 1947 से लेकर अब तक काले धन और विदेशों में उसके ट्रांसफर से भारत सरकार को 462 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. ज्यादातर धन भ्रष्टाचार और कर चोरी की वजह से सरकार के हाथों से निकला है. 2008 में भारत की गैर कानूनी अर्थव्यवस्था का मूल्य 640 अरब डॉलर के करीब है और इसका 72 प्रतिशत विदेशी बैंकों में रखा गया है.
कॉमनवेल्थ खेलों में भ्रष्टाचार और 2जी घोटाले के बाद भारत सरकार अब भ्रष्टाचार को आड़े हाथ लेना चाहती है. सामाजिक संगठनों ने पिछले दिनों भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाई और सरकार दबाव में आ कर इस खास जांच समिति का गठन कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल में सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि कर चोरों ने विदेशों में जो करोड़ों डॉलर छिपा रखे हैं, उन्हें वापस देश लाने में सरकार नाकाम रही है.
रिपोर्टः डीपीए/एमजी
संपादनः ए कुमार