मानवीय मिशन के लिए लीबिया में सेना भेजेगा जर्मनी
९ अप्रैल २०११यूरोपीय संघ कोशिश कर रहा है कि उसके मानवीय मिशन को संयुक्त राष्ट्र की हरी झंडी मिल जाए. संघ की विदेश नीति प्रमुख कैथरीन एश्टन ने यूएन महासचिव बान की मून को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि 27 देशों का संघ ईयू मिसराता में लोगों की मदद के लिए तैयार है.
एश्टन ने कहा है कि इस काम के लिए यूरोपीय संघ अपनी सेना समेत सारे संसाधनों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है. एक यूरोपीय राजनयिक ने बताया, "सब जानते हैं कि हमें कुछ करना चाहिए. और आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जमा कर लेंगे. संयुक्त राष्ट्र वहां मानवीय हालात की गंभीरता को समझ रहा है. उसे आने वाले दिनों में ईयू को बुलाना पड़ सकता है."
मिसराता में बुरा हाल
मिसराता शहर पर लीबियाई शासक कर्नल गद्दाफी के विद्रोहियों का कब्जा है. यह राजधानी त्रिपोली से 215 किलोमीटर दूर है. यहां विद्रोहियों और कर्नल गद्दाफी के सैनिकों के बीच लगातार 40 दिन तक लड़ाई चलती रही है.
बीते बुधवार यूएन ने अपील की थी कि मिसराता में जंग रोक दी जाए ताकि वहां घायलों की मदद की जा सके और आम नागरिकों को जरूरी सामान मुहैया कराया जा सके.
एक अन्य यूरोपीय राजनयिक ने कहा कि घायलों को निकालना प्राथमिकता होगी. इसके अलावा शहर के तीन लाख लोगों को पीने का पानी, दवाइयां और खाना भी उपलब्ध कराना है.
ईयू सबसे सही
संयुक्त राष्ट्र की मानवीय मामलों को देखने वाली संस्था ओसीएचए चाहती है कि मानवीय सहायता का काम किसी निष्पक्ष दल को सौंपा जाए. इसलिए यूरोपीय संघ इस भूमिका को सबसे अच्छी तरह निभा सकता है क्योंकि वह लीबिया पर सैन्य हमलों में हिस्सा नहीं है.
पिछले हफ्ते ईयू मानवीय सहायता के लिए सैन्य मिशन स्थापित करने पर राजी हो गया था. इस बारे में योजना बनाई जानी है लेकिन यूरोपीय संघ के एक राजनयिक ने बताया कि किसी भी सूरत में जमीन पर सेना को नहीं उतारा जाएगा.
जर्मनी का रुख
जर्मनी भी लीबिया में यूरोपीय संघ के मानवीय मिशन की मदद के लिए अपनी सेना भेजने को राजी हो गया है. चांसलर अंगेला मैर्केल के प्रवक्ता स्टीफेन जाइबेर्ट ने कहा कि जर्मनी की सेना यूरोपीय संघ के मिशन के लिए उपलब्ध रहेगी.
विपक्षी दल सोशल डेमोक्रेट्स ने सरकार पर अपनी बात से पलटने का आरोप लगाया है. जर्मनी ने लीबिया पर सैन्य कार्रवाई में हिस्सा नहीं लिया है. यूएन में नो फ्लाई जोन पर मतदान के दौरान भी वह निष्पक्ष रहा था. लेकिन अब सरकार ने वहां मानवीय मिशन पर सेना भेजने का फैसला किया है.
विपक्ष के आरोप को गलत बताते हुए जाइबेर्ट ने कहा, "जर्मनी कह चुका है कि वह सैन्य कार्रवाई में हिस्सा नहीं लेगा. हम अब जो बात कर रहे हैं, वह पूरी तरह अलग है."
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ईशा भाटिया