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यूएन में ईशनिंदा के खिलाफ अभियान रुका

२५ मार्च २०११

मुस्लिम देशों ने ईशनिंदा के खिलाफ चल रहे 12 साल पुराने अपने अभियान को फिलहाल ठंढे बस्ते में डाल दिया है ताकि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद धार्मिक सहिष्णुता के प्रचार की योजना को मंजूरी दे सके.

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पाकिस्तान के कारण ईशनिंदा कानून सुर्खियों में हैतस्वीर: picture alliance/dpa

पश्चिमी देश और उनके लातिन अमेरिकी सहयोगी ईशनिंदा के विचारों के तगड़े आलोचक रहे हैं. इन सभी ने मुस्लिम और अफ्रीकी देशों के साथ मिल कर नई दिशा में कदम बढ़ाने की सोची है जिसमें धर्म की बजाय धर्म को मानने वालों की रक्षा पर ध्यान दिया जाएगा.

1998 से ही 57 सदस्य देशों वाला ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कांफ्रेंस (ओआईसी) के साथ संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में इस मुद्दे पर सहमति रही है कि धार्मिक विश्वासों की निंदा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो. आलोचकों का कहना है कि यह विचार अंतरराष्ट्रीय कानून और बोलने की आजादी के खिलाफ जाता है. इसके साथ ही इस विचार के कारण पाकिस्तान जैसे देशों में कड़े ईशनिंदा कानूनों के लिए आधार मिल जाता है. पाकिस्तान में इसी वजह से इस साल दो बड़े उदारवादी नेताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है.

ईशनिंदा कानून का तर्क

संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे पर हुई बहस में दलील दी गई कि इस तरह के कानूनों के कारण एक खास धर्म के बहुसंख्यक लोग अपने ही देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर नियंत्रण करने का एक जरिया हासिल कर लेते हैं. इस वजह से अल्पसंख्यकों को धर्म परिवर्तन या फिर देश छोड़ने पर विवश होना पड़ता है. हालांकि ओआईसी की तरफ से बोलते हुए पाकिस्तान ने दलील दी कि इस तरह के कानून इस्लाम और दूसरे धर्मों की आलोचना से रक्षा के लिए जरूरी हैं. इन आलोचनाओं के कारण धर्म को मानने वाले आम लोगों के विश्वास को चोट पहुंचती है.

मुस्लिम देशों ने 2005 में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून बनाने की घटना का जिक्र किया और इसे निंदनीय कहते हुए ऐसी घटनाओं को रोकने की वकालत की. ओआईसी के प्रस्ताव पर बीते सालों में संयुक्त राष्ट्र में जम कर बहस हुई है और इसके लिए समर्थन धीरे धीरे घटता गया.

बड़ी कामयाबी

पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिका और पाकिस्तान के राजनयिकों के बीच हुई लंबी चर्चा के बाद तैयार तीन पन्नों के संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव में कहा गया है, "दुनिया भर में धार्मिक लोगों के खिलाफ असहिष्णुता, भेदभाव और हिंसा बढ़ी है." ईशनिंदा को इसमें से हटाते हुए ऐसी धार्मिक नफरत की निंदा की गई है जिसमें किसी खास धर्म के लोगों के खिलाफ हिंसा की वकालत की गई हो. इसके साथ ही सरकारों से ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की गई है.

अमेरिका के एक प्रमुख मानवाधिकार संगठन ने कहा है कि नया प्रस्ताव एक बड़ी कामयाबी है क्योंकि यह धर्म की बजाए उसे मानने वालों की रक्षा करने की बात करता है. इसके साथ ही ईशनिंदा पर बहस अब पीछे छूट गई है. मुस्लिम राष्ट्रों के राजनयिकों ने संयुक्त राष्ट्र को चेतावनी दी है कि अगर पश्चिमी देश धार्मिक लोगों की रक्षा के लिए आगे नहीं आए तो वे अपने पुराने अभियान पर वापस लौट आएंगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ए कुमार

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