रहमान मलिक का दौरा और विवाद
१७ दिसम्बर २०१२बीजेपी ने संसद में रहमान मलिक के उस बयान पर फिर से सफाई मांगी, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर बाबरी मस्जिद और मुंबई के आंतकवादी हमलों की तुलना की थी. बीजेपी ने राज्यसभा में सरकार ने पूछा कि इस मामले में वह सख्ती से क्यों नहीं निपट पाई.
राज्यसभा में विपक्ष के उप नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार ने इस मामले में अपनी बात क्यों नहीं रखी और इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले का जिक्र क्यों नहीं किया, जिसमें कहा गया है कि जो लोग इसके मस्जिद होने का दावा करते हैं, वे अपनी बात साबित नहीं कर पाए हैं. इसके बाद बीजेपी की ही सहयोगी पार्टी जेडीयू के साबिर अली ने हंगामा कर दिया और सदन के बीच में आ गए.
मलिक ने अपने भारत दौरे में कहा था कि कोई भी बाबरी मस्जिद, मुंबई के आतंकवादी हमले और समझौता विस्फोट जैसी घटनाओं को दोबारा नहीं देखना चाहेगा. इसके बाद से बीजेपी का कहना है कि मलिक ने बाबरी मस्जिद और 26/11 की तुलना की है. रविशंकर प्रसाद ने कहा, "रहमान मलिक ने जो कुछ भी कहा है, उसकी जरूरत नहीं थी. हम कड़े शब्दों में इसकी निंदा करते हैं. मैं गृह मंत्रालय से पूछना चाहता हूं कि अगर मलिक का यह दौरा किसी एजेंडे के तहत था, तो उन्हें भारत क्यों आने दिया गया." प्रसाद ने मलिक के उस बयान को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया है कि भारत के पास हाफिज सईद के खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं.
इस बीच भारत का दावा है कि पाकिस्तान भले ही कहे कि उसने हाफिज सईद को गिरफ्तार किया था, लेकिन सच यह है कि उसे कभी भी गिरफ्तार नहीं किया गया. संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए भारत के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि पाकिस्तना ने इस मामले में "गुमराह" किया. उन्होंने कहा, "हमें जो कागजात दिए गए हैं, उनसे साफ है कि हाफिज सईद की गिरफ्तारी किसी और वजह से हुई थी, 26/11 के हमलों की वजह से नहीं. इसलिए मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि रहमान मलिक ने इस मामले में गुमराह किया है."
शिंदे ने मलिक के हवाले से कहा कि उनका कहना था कि सईद को तीन बार गिरफ्तार किया गया लेकिन हर बार सबूतों की कमी की वजह से उन्हें रिहा कर देना पड़ा. उन्होंने बताया कि मलिक के साथ उनकी बातचीत में पाकिस्तान ने यह माना है कि 26/11 के गुनहगारों के साथ इंसाफ करना उसकी प्राथमिकी है.
लोकसभा में बीजेपी नेता यशवंत सिंह ने प्रस्ताव रखा कि पाकिस्तान से कोई भी बातचीत तब तक न की जाए, जब तक वह मुंबई हमलों के आरोपी हाफिज सईद को भारत को नहीं सौंप देता.
पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री मलिक के भारत दौरे से दोनों देशों के बीच रिश्ते कुछ बेहतर होने की उम्मीद थी लेकिन मामला विवादों में फंस गया. भारत ने जहां मुंबई के आतंकवादी हमलों के अलावा पाकिस्तानी जेल में बंद सरबजीत सिंह का मुद्दा उठाया, वहीं पाकिस्तान ने समझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट की जांच के बारे में जानना चाहा. लेकिन इस बीच रहमान मलिक के बाबरी मस्जिद वाले बयान से माहौल कड़वा हो गया. अभी पिछले दिनों ही बाबरी मस्जिद के गिरने के 20 साल पूरे हुए हैं.
एजेए/ओएसजे (पीटीआई)