राना का बरी होना हमेशा रहस्य बना रहेगा
११ जून २०११मुकदमे का फैसला सुनाए जाने के बाद ज्यूरी के सदस्यों ने फैसला किया कि वे मीडिया से बात नहीं करेंगे और उनके नाम कभी उजागर नहीं किए जाएंगे. बंटे हुए फैसले में ज्यूरी सदस्यों ने राना को मुंबई हमलों के तीन आरोपों में बेकसूर ठहराया. इस फैसले से भारत और अमेरिका की सरकारों को निराशा हुई है. लेकिन इसका रहस्य अब कभी सामने नहीं आ पाएगा.
ज्यूरी सदस्यों के आग्रह पर यह फैसला किया गया है कि उनके नामों को कभी सार्वजनिक नहीं किया जाएगा. सबसे बड़ा सवाल यह है कि ज्यूरी मानती है कि राना ने उस आतंकवादी संगठन की मदद की जिसने मुंबई हमलों को अंजाम दिया. ऐसे में हमलों में उसकी भूमिका से कैसे इनकार किया जा सकता है?
इसका एक जवाब अमेरिकी अटॉर्नी पैट्रिक फिजगेराल्ड की तरफ से आया है, जिन्होंने फैसले के फौरन बाद कहा, "अभियोक्ता यह साबित करने में नाकाम रहे कि राना मुंबई हमलों के होने से पहले उनके बारे में जानता था. मैं पूरी तरह निराश नहीं हूं. मैं एक आरोप में उसके बरी होने से निराश हूं लेकिन मुझे संतोष है क्योंकि बाकी दो आरोप बहुत गंभीर थे."
राना के वकील चार्ली स्विफ्ट कहते हैं कि ज्यूरी ने सबूतों के आधार पर अपना फैसला सुनाया है. उन्होंने कहा, "सबूत साफ है कि राणा की मुंबई हमलों में कोई भूमिका नहीं थी."
12 सदस्यों की ज्यूरी में अलग अलग पृष्ठभूमि के लोग शामिल थे जिन्हें गहन जांच के बाद चुना गया था. ज्यूरी ने 12 घंटे तक विचार विमर्श के बाद फैसला सुनाया. इन 12 घंटों के दौरान सभी सदस्य एक कमरे में बंद रहे और कोई भी उस कमरे में नहीं गया.
फैसला सुनाने के बाद जज ने मीडिया से बात करने का फैसला ज्यूरी के सदस्यों पर छोड़ दिया. लेकिन कुछ देर बाद यह एलान किया गया कि ज्यूरी सदस्य मीडिया से बात नहीं करेंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार